📍 गोरखपुर की बेटी सनिया की मौत: दहेज, दरिंदगी और सिस्टम की चुप्पी का खामियाज़ा
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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक नवविवाहिता ने अपने पति द्वारा फोन पर तीन तलाक दिए जाने और दहेज की लगातार प्रताड़ना से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। इस पूरे मामले में चौरीचौरा थाने के एक सब-इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया है क्योंकि उन्होंने पहले से की गई शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं की।
📞 फोन पर तीन तलाक, फिर मौत की चुप्पी
मृतका की पहचान सनिया के रूप में हुई है, जिसकी शादी 7 अगस्त 2023 को महाराष्ट्र के रसायनी निवासी सलाउद्दीन से हुई थी। सनिया की मां आसिया ने बताया कि शादी के बाद से ही उसकी बेटी को लगातार दहेज को लेकर प्रताड़ित किया जा रहा था।
सनिया को सोमवार शाम उसके पति ने फोन कर तीन बार ‘तलाक’ कहा और गाली-गलौज भी की। इससे आहत होकर उसी रात सनिया ने आत्महत्या कर ली।
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🛑 पुलिस की चूक: शिकायत की अनदेखी
सनिया की मां ने चौरीचौरा थाने में SI जय प्रकाश सिंह से कई बार शिकायत की थी, लेकिन उन्होंने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया। बाद में एडिशनल एसपी नॉर्थ जितेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की जांच में पुष्टि हुई कि पीड़िता थाने गई थी, लेकिन केस दर्ज नहीं हुआ।
इस गंभीर लापरवाही पर SSP गौरव ग्रोवर ने SI सिंह को निलंबित कर विभागीय जांच के आदेश दे दिए हैं।
⚖️ FIR में दर्ज आरोपी और गंभीर धाराएं
पीड़िता की मां की शिकायत पर पुलिस ने सलाउद्दीन सहित कुल 8 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है:
- पति: सलाउद्दीन
- सास: सायरा
- ननदें: आसिया, खुशबू, रोज़ी
- देवर: ज़ियाउल-उद्दीन, बला-उद्दीन
FIR में आरोप है कि शादी के बाद लगातार दहेज मांगा गया, मारपीट की गई और आखिर में सलाउद्दीन ने तलाक देकर उसे मानसिक रूप से तोड़ दिया।
🧵 एक और दर्दनाक उदाहरण: कानून है, पर अमल नहीं
हालांकि तीन तलाक को अपराध घोषित कर दिया गया है, लेकिन इस केस ने दिखाया कि जमीनी स्तर पर महिलाएं अब भी असहाय हैं। पुलिस की निष्क्रियता, समाज की चुप्पी और ससुराल वालों की क्रूरता – इन तीनों ने मिलकर एक ज़िंदगी को निगल लिया।
📌 अब क्या?
- पुलिस जांच चल रही है।
- FIR में गंभीर धाराएं जोड़ी गई हैं।
- विभागीय कार्रवाई के दायरे में थाना स्टाफ भी है।
- परिवार इंसाफ की मांग कर रहा है।
🔚 क्या बेटियां ऐसे ही हारती रहेंगी?
सनिया की मौत सिर्फ एक केस नहीं, एक सवाल है इस देश की कानून व्यवस्था और सामाजिक जिम्मेदारी पर। जब एक बेटी मदद के लिए थाने पहुंचती है और उसे अनसुना कर दिया जाता है – तो उसकी मौत अकेले उसकी नहीं, पूरे सिस्टम की हार होती है।
मेरा नाम शिव है और मैने SVSU University से बी.एससी. की पढ़ाई पूरी की है और मुझे लेखन में 5 वर्षों का अनुभव है। मैं सामाजिक मुद्दों, तकनीकी विषयों और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील विषयों पर स्पष्ट, तथ्यपूर्ण लेखन करता हूँ मेरे लिखने का उद्देश्य सिर्फ जानकारी देना नहीं, बल्कि पाठकों को सोचने पर मजबूर करना भी है। लेखन में प्रस्तुत सभी जानकारी विभिन्न सार्वजनिक स्रोतों और इंटरनेट माध्यमों से एकत्र की जाती है। तथ्यों को सही और अद्यतन रखने का प्रयास किया जाता है, किंतु इसकी पूर्ण सत्यता या सटीकता की कोई गारंटी नहीं दी जाती। जानकारी के उपयोग से उत्पन्न किसी भी परिणाम के लिए लेखक की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।