भारत-पाक संघर्ष विराम: ड्रैगन की चाल या दोस्ती का पैगाम?

By Shiv

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भारत-पाक संघर्ष विराम पर चीन की चुप्पी टूटी: ‘शांति’ के बहाने बड़ा संदेश?

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नई दिल्ली/इस्लामाबाद/बीजिंग — भारत और पाकिस्तान के बीच अचानक घोषित हुए संघर्ष विराम ने सिर्फ उपमहाद्वीप नहीं, बल्कि वैश्विक कूटनीति को भी झकझोर दिया है। जहां दोनों देशों ने सीमा, समुद्र और वायु सीमाओं पर सभी प्रकार की शत्रुता रोकने का ऐलान किया, वहीं इसी दौरान एक अहम और रणनीतिक घटनाक्रम हुआ—पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच उच्चस्तरीय बातचीत।

पाकिस्तान को मिला चीन का ‘Ironclad’ समर्थन

इस बातचीत में वांग यी ने पाकिस्तान को न केवल उसकी “संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय स्वतंत्रता” के लिए समर्थन दोहराया, बल्कि उसकी संयमित और जिम्मेदार प्रतिक्रिया की भी सराहना की। डार ने इसे “विकसित होते क्षेत्रीय हालात” से जोड़ते हुए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक क्षण बताया।

चीन ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत-पाक तनाव के इस मोड़ पर वह पाकिस्तान का एक ‘ऑल वेदर स्ट्रैटजिक कोऑपरेटिव पार्टनर’ बना रहेगा। इसका अर्थ है कि आने वाले दिनों में चीन और पाकिस्तान लगातार संपर्क में रहेंगे और एक समन्वित रणनीति पर काम करेंगे।

भारत से भी बातचीत: डोभाल को दिया ‘शांत रहो’ का संदेश

दिलचस्प बात यह रही कि इसी अवधि में चीन के विदेश मंत्री ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी बातचीत की। चीन के सरकारी मीडिया शिन्हुआ के मुताबिक, वांग यी ने भारत को “स्थिति न बढ़ाने” और “शांत व संयमित” रहने की सलाह दी। साथ ही यह भी कहा कि बीजिंग संघर्ष विराम की दिशा में “रचनात्मक भूमिका” निभाने को तैयार है।

यह चीन की दोतरफा रणनीति को दर्शाता है—जहां एक तरफ वह पाकिस्तान के साथ अटूट दोस्ती का प्रदर्शन कर रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत के साथ अपने संवाद को भी बनाए रखना चाहता है।

UAE और तुर्की से भी बात

इशाक डार की कूटनीतिक सक्रियता यहीं खत्म नहीं हुई। उन्होंने UAE के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद और तुर्की के विदेश मंत्री हाकन फिदान से भी बातचीत की। दोनों ने भारत-पाक संघर्ष विराम का स्वागत किया और क्षेत्रीय शांति की दिशा में इसे सकारात्मक कदम बताया।

जमीनी हकीकत: शांति के बाद भी अलर्ट

हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की घोषणा हो चुकी है, लेकिन जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर हैं। संघर्ष विराम के कुछ ही घंटों बाद जम्मू क्षेत्र में ड्रोन देखे जाने और विस्फोट की घटनाएं सामने आईं, जिनसे भारतीय वायु रक्षा प्रणालियां सक्रिय हो गईं।

यह साफ है कि संघर्ष विराम सिर्फ घोषणा है, जमीनी हकीकत अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है।


विश्लेषण: क्या चीन निभा रहा है दोहरा किरदार?

चीन की रणनीति हमेशा से बहुपक्षीय रही है। इस पूरे घटनाक्रम में वह न केवल पाकिस्तान का ‘आयरन ब्रदर’ बना हुआ है, बल्कि भारत के साथ कूटनीतिक बैलेंस भी साध रहा है। वांग यी का पाकिस्तान को सीधा समर्थन और भारत को संयम बरतने की सलाह यह दिखाती है कि बीजिंग क्षेत्रीय राजनीति में किस चतुराई से अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।

इसका एक संदेश यह भी निकलता है कि दक्षिण एशिया में कोई भी बड़ा घटनाक्रम अब चीन के दखल के बिना नहीं हो सकता—चाहे वह सीजफायर हो या युद्ध।


संघर्ष विराम की कहानी में असली खिलाड़ी कौन?

भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसके पीछे की कूटनीतिक गतिविधियां कहीं ज्यादा गहराई से समझने योग्य हैं। चीन की भागीदारी सिर्फ समर्थन तक सीमित नहीं, बल्कि वह इस स्थिति को अपने पक्ष में मोड़ने की पूरी कोशिश कर रहा है।

अब देखने वाली बात होगी कि क्या यह संघर्ष विराम एक अस्थायी विराम बनकर रह जाएगा, या फिर इसमें चीन की ‘रचनात्मक भूमिका’ किसी स्थायी शांति की नींव रखेगी।

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