डिप्लोमेटिक तनाव में नरमी के संकेत
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बढ़ते टैरिफ नीतियों के बीच भारत और कनाडा अपने हालिया तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देश पारस्परिक राजनयिक निष्कासन के बाद अपने-अपने दूतों को फिर से भेजने पर विचार कर रहे हैं।

पिछले साल अक्टूबर में, भारत ने छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था और अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लिया था। यह कदम तब उठाया गया जब कनाडाई अधिकारियों ने भारतीय राजनयिक को ‘व्यक्ति विशेष’ के रूप में चिन्हित किया था, जो कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच का हिस्सा था।
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इंटेलिजेंस सहयोग और संभावित उच्च स्तरीय बैठक
रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा के खुफिया प्रमुख डेनियल रोजर्स हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल द्वारा आयोजित एक खुफिया सम्मेलन में शामिल हुए थे।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच जून में अल्बर्टा में होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान एक संभावित बैठक की अटकलें भी लगाई जा रही हैं।
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भारत-कनाडा संबंधों में उतार-चढ़ाव
सितंबर 2023 में, तत्कालीन कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने यह दावा किया था कि भारत सरकार के एजेंटों का निज्जर की हत्या से संबंध हो सकता है। भारत ने इन आरोपों को ‘निराधार और प्रेरित’ करार दिया था। इसके बाद दोनों देशों के संबंधों में ऐतिहासिक गिरावट देखी गई।
अब, ट्रंप की टैरिफ नीति के चलते दोनों देश व्यापारिक साझेदारी को मजबूत करने पर विचार कर रहे हैं। भारत और कनाडा दोनों ही अमेरिका के नए टैरिफ नीति के कारण अपनी अर्थव्यवस्थाओं पर संभावित प्रभावों को लेकर चिंतित हैं।
कार्नी का रणनीतिक दृष्टिकोण
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने हाल ही में कहा, “हम समान विचारधारा वाले देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए काम करेंगे, और भारत के साथ संबंधों को फिर से संजोने का यह उपयुक्त अवसर हो सकता है।”
मार्च 21 को, भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत-कनाडा संबंधों में गिरावट का प्रमुख कारण ‘कट्टरपंथी और अलगाववादी तत्वों को मिली छूट’ थी। उन्होंने आगे कहा, “हम आशा करते हैं कि आपसी विश्वास और संवेदनशीलता के आधार पर हम अपने संबंधों को फिर से सुधार सकेंगे।”
अमेरिका की व्यापार नीतियों के कारण भारत और कनाडा के संबंधों में एक नया मोड़ आ सकता है। दोनों देशों के नेताओं की रणनीतियां और आगामी बैठकें यह तय करेंगी कि भविष्य में इन द्विपक्षीय संबंधों की दिशा क्या होगी।
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