झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई कैसे होती है? जानिए कानून, सज़ा, जुर्माना और सरकार की सख्ती व jholachap पर कार्रवाई से जुड़ी पूरी जानकारी यहां पढ़ें.
झोलाछाप डॉक्टरों की समस्या
भारत में झोलाछाप डॉक्टरों की समस्या आज भी आम है और छोटे कस्बों और गांवों में यह लोग बिना किसी मेडिकल डिग्री के दवाइयां बांटते हैं व इंजेक्शन लगाते हैं और इलाज करने का दावा करते हैं पर असलियत तो यह है कि झोलाछापों की वजह से मरीज की बीमारी बिगड़ जाती है और कई बार तो जान का खतरा भी हो जाता है और सरकार और प्रशासन ने अब इनके खिलाफ सख्ती दिखाना शुरू कर दिया है आइए आसान भाषा में समझते हैं कि झोलाछापों पर क्या-क्या कार्रवाई हो सकती है.
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मेडिकल प्रैक्टिस पर पूरी तरह बैन
भारत में बिना रजिस्टर्ड मेडिकल डिग्री के कोई भी व्यक्ति इलाज नहीं कर सकता और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) और अब नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के नियम साफ कहते हैं कि MBBS या BAMS जैसी मान्यता प्राप्त डिग्री और स्टेट मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रेशन होना जरूरी है और अगर कोई व्यक्ति इसके बिना प्रैक्टिस करता है तो वह कानून तोड़ रहा है और झोलाछाप पकड़े जाने पर उसकी दुकान या क्लिनिक तुरंत बंद कर दी जाती है और आगे से प्रैक्टिस पर रोक लगा दी जाती है.
जेल और जुर्माने का प्रावधान
झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और Drugs & Cosmetics Act के तहत कार्रवाई होती है और अगर कोई नकली इलाज करके मरीज की जान खतरे में डालता है तो उसे IPC की धारा 304A (लापरवाही से मौत) तक लग सकती है और इसके अलावा 6 महीने से 5 साल तक की जेल और 10 हजार से लेकर लाखों रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
झोलाछाप डॉक्टरों पर कौन-कौन सी धाराओं में कार्रवाई होती है
भारत में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कई कानूनी प्रावधान मौजूद हैं और अगर कोई व्यक्ति बिना मेडिकल डिग्री और बिना रजिस्टर्ड हुए इलाज करता है तो उस पर निम्न धाराओं के तहत कार्रवाई हो सकती है.
- भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराएं
- धारा 420 (Cheating और धोखाधड़ी): मरीज को झूठ बोलकर इलाज करने पर.
- धारा 468 और 471 (Forgery और Fake documents का इस्तेमाल): अगर झोलाछाप नकली डिग्री या प्रमाणपत्र दिखाता है.
- धारा 304A (लापरवाही से मौत): गलत इलाज या इंजेक्शन की वजह से अगर किसी मरीज की मौत हो जाए.
- धारा 336, 337 और 338 (जीवन को खतरे में डालना): मरीज की जान जोखिम में डालने पर.
- धारा 419 और 420: गलत पहचान बनाकर खुद को डॉक्टर बताने और लोगों से पैसे वसूलने पर.
- Drugs and Cosmetics Act, 1940
- इस कानून के तहत बिना लाइसेंस दवा बेचने या नकली/एक्सपायर दवाइयां रखने पर केस दर्ज होता है.
- इसमें सजा 3 साल से लेकर उम्रकैद तक हो सकती है और भारी जुर्माना भी लगता है.
- Clinical Establishment Act, 2010
- बिना पंजीकरण के क्लिनिक या नर्सिंग होम चलाने पर सीधे सीलिंग और जुर्माना.
- Indian Medical Council Act, 1956 (अब National Medical Commission Act, 2019)
- बिना MBBS या मान्यता प्राप्त डिग्री के प्रैक्टिस करना सीधे अवैध माना जाता है. इस पर जुर्माना और जेल दोनों हो सकते हैं.
- Drugs and Cosmetics Act, 1940 की धारा 27(a) और 27(b)
– नकली या मिलावटी दवाएं बेचने पर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है.
सजा कितनी हो सकती है
- 6 महीने से 5 साल तक जेल
- 10 हजार से लेकर लाखों रुपये तक जुर्माना
- क्लिनिक और दवाइयों की सीलिंग
- गंभीर केस में Non-bailable वारंट तक जारी हो सकता है.
दवाइयों की जब्ती
अधिकतर झोलाछाप डॉक्टर नकली या एक्सपायर दवाइयां रखते हैं और हेल्थ डिपार्टमेंट और ड्रग इंस्पेक्टर की टीम जब ऐसे क्लीनिक पर छापेमारी करती है तो दवाइयों और इंजेक्शनों को जब्त कर लेती है और कई बार नकली दवाइयों का पूरा नेटवर्क पकड़ा जाता है और उस पर अलग से केस दर्ज होता है.
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मरीज की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई
आजकल मरीजों को भी यह अधिकार है कि अगर उन्हें किसी झोलाछाप से परेशानी हुई है तो वह सीधे Chief Medical Officer (CMO), पुलिस या हेल्थ डिपार्टमेंट को शिकायत कर सकते हैं और शिकायत के बाद तुरंत टीम मौके पर जाकर जांच करती है और आरोपी झोलाछाप के खिलाफ केस दर्ज करती है.
प्रशासन की स्पेशल मुहिम
कई राज्यों में झोलाछापों के खिलाफ लगातार अभियान चलाए जाते हैं और खासकर यूपी, बिहार और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में CMO की टीम छापेमारी करती रहती है और कई बार तो जिला प्रशासन पुलिस के साथ मिलकर एक साथ सैकड़ों झोलाछापों पर कार्रवाई करता है और यह अभियान जनता को भरोसा दिलाने के लिए जरूरी है कि इलाज सिर्फ रजिस्टर्ड डॉक्टर ही करें.
समाज पर असर
झोलाछाप डॉक्टर सस्ती दवाइयां देकर या जल्दी इलाज का भरोसा देकर मरीजों को अपनी तरफ खींचते हैं और कई बार यह गलत इंजेक्शन लगा देते हैं व नकली दवा दे देते हैं या बिना जांच के गंभीर बीमारी का गलत इलाज शुरू कर देते हैं और इससे मरीज की हालत बिगड़ जाती है तो ऐसे में सरकार की यह कार्रवाई समाज को सुरक्षित करने के लिए जरूरी है.
जनता को क्या करना चाहिए
जनता को भी सतर्क रहना चाहिए और अगर कोई डॉक्टर खुद को MBBS या Specialist बताता है तो उसकी डिग्री और रजिस्ट्रेशन नंबर जरूर चेक करना चाहिए और कई बार नकली बोर्ड और डिग्री लगाकर लोग लोगों को बेवकूफ बनाते हैं और अगर ऐसा कुछ दिखे तो तुरंत हेल्थ डिपार्टमेंट को सूचना देना चाहिए ताकि झोलाछापों पर जल्द कार्रवाई हो सके.
झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई
झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई न सिर्फ मरीजों की सुरक्षा के लिए जरूरी है बल्कि यह स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाने की दिशा में भी बड़ा कदम है और सरकार लगातार इन पर नकेल कस रही है और आम जनता को भी चाहिए कि ऐसे नकली डॉक्टरों से दूरी बनाए और असली, रजिस्टर्ड डॉक्टर से ही इलाज कराए.