ज़मीन और बकरी पर मौत! यूपी में इंसानों की जान अब सस्ती?

By Shiv

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उत्तर प्रदेश में इंसाफ की चीत्कार: एक फार्मासिस्ट की हत्या, एक युवक की जान बकरी के लिए गई!

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उत्तर प्रदेश एक बार फिर क्रूरता और क़ानून-व्यवस्था की खस्ताहाली की ख़बरों में है। बाराबंकी ज़िले में जहां एक 24 वर्षीय युवा फार्मासिस्ट को रात में क्लिनिक में पीट-पीट कर मार डाला गया, वहीं बलिया में एक युवक को महज़ इसलिए मौत के घाट उतार दिया गया क्योंकि उसकी बकरी पड़ोसी के खेत में चली गई थी।

यह दोनों घटनाएं प्रदेश में बढ़ते जमीनी विवादों और तुच्छ कारणों से हो रही हत्याओं की भयानक तस्वीर पेश करती हैं।


बाराबंकी में फार्मासिस्ट की बेरहमी से हत्या

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कैसे हुई वारदात?

रविवार आधी रात के बाद, बाराबंकी के दादिया मऊ गांव में एक निजी क्लिनिक चला रहे सत्येंद्र विश्वकर्मा (24 वर्ष) की हत्या कर दी गई। तीन अज्ञात युवक ग्राहक बनकर क्लिनिक पर पहुंचे और दवा मांगने का बहाना किया। जैसे ही सत्येंद्र ने दरवाज़ा खोला, उन लोगों ने लाठी-डंडों से हमला कर दिया।

स्थानीय लोगों के अनुसार, सत्येंद्र जान बचाकर भागने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन हमलावरों ने उन्हें दौड़ाकर पीटा। एक स्थानीय निवासी विवेक चंद्र नाग ने जब बीच-बचाव की कोशिश की तो उसे भी बुरी तरह पीटा गया।

इलाज के दौरान तोड़ा दम

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घायल अवस्था में सत्येंद्र को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हमलावर घटनास्थल से भाग निकले। पुलिस ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा।


मां का आरोप: ‘ये हत्या साजिश थी’

पीड़ित की मां गंगोत्री देवी ने पुलिस को बताया कि गांव के चार लोग – संतलाल, किशोर, राजेंद्र प्रसाद और लाल बहादुर – उनके बेटे से ज़मीन और पेड़ काटने को लेकर विवाद में थे। उन्होंने ही साजिश के तहत हत्या करवाई है।

पुलिस ने मृतक के पिता गंगा प्रसाद की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

सत्येंद्र कौन थे?

सत्येंद्र ने हाल ही में फार्मेसी का कोर्स पूरा किया था और पिछले एक साल से अपने गांव में क्लिनिक चला रहे थे। वे गांव के युवाओं के लिए एक प्रेरणा थे जो खुद की मेहनत से कुछ बनना चाहते हैं।


बलिया में बकरी विवाद बना मौत का कारण

एक और हैरान करने वाली घटना बलिया जिले के सिंहपुर गांव (फेफना थाना क्षेत्र) में हुई। वहां के 30 वर्षीय युवक अवधेश को गुरुवार रात डंडों से इतना मारा गया कि उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

विवाद की वजह? बकरी!

घटना का कारण था — बकरी का पड़ोसी की ज़मीन में घुस जाना। अवधेश और उसके पड़ोसी के बीच बहस हुई जो देखते ही देखते मारपीट में बदल गई। एक डंडे का वार अवधेश के सिर पर पड़ा और उसने दम तोड़ दिया।

पुलिस ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि आरोपियों की पहचान की जा रही है।


कानून-व्यवस्था पर उठते सवाल

इन दोनों घटनाओं ने प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है:

  • क्या अब यूपी में किसी की जान लेना इतना आसान हो गया है?
  • एक फार्मासिस्ट को उसके क्लिनिक में घुसकर मार दिया गया, वो भी बिना किसी डर के।
  • एक आदमी सिर्फ इसलिए मार डाला गया क्योंकि उसकी बकरी किसी के खेत में चली गई?

ये घटनाएं पुलिस की गश्त, ग्राम स्तर पर रात्रिकालीन सुरक्षा व्यवस्था और ज़मीन विवादों के निपटारे की सरकारी व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं।


राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं

इन घटनाओं पर विपक्षी दलों ने भी राज्य सरकार को घेरा है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ताओं ने ट्वीट कर कहा कि योगी सरकार में आम आदमी की सुरक्षा नाम मात्र की है। वहीं स्थानीय संगठनों ने पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा देने और अपराधियों को कड़ी सज़ा दिलाने की मांग की है।


एक गंभीर चेतावनी

इन घटनाओं को हल्के में लेना एक बहुत बड़ी भूल होगी। ये न केवल मानवता को शर्मसार करती हैं, बल्कि ये संकेत हैं कि छोटी-छोटी बातों में हिंसा और हत्या की प्रवृत्ति समाज में कितनी गहराई तक बैठ चुकी है। अगर प्रशासन और समाज अब भी नहीं जागे, तो कल शायद कोई और सत्येंद्र या अवधेश किसी और कारण से अपनी जान गंवा देगा।