Yogi Goverment ने बड़ा फैसला लिया है की अब UP में जाति आधारित रैलियों पर रोक होगी और FIR से लेकर पुलिस रिकॉर्ड तक में जाति का जिक्र नहीं किया जाएगा.
राजनीति और समाज पर जाति का असर
उत्तर प्रदेश की राजनीति और समाज पर जाति का असर हमेशा से गहरा रहा है और हर चुनाव में caste factor की चर्चा होती रही है और रैलियों से लेकर पोस्टर तक में जातीय पहचान को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता रहा है परअब Yogi Goverment ने हाईकोर्ट के आदेश का पूरा पालन करते हुए ऐसा फैसला लिया है जिससे जाति की राजनीति पर सीधा प्रहार होगा.
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हाईकोर्ट का आदेश और सरकार की कार्रवाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में साफ कहा था कि पुलिस रिकॉर्ड्स व FIR और अन्य दस्तावेजों में जाति का उल्लेख करना संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है और कोर्ट का मानना है कि इससे समाज में विभाजन की भावना और गहरी होती है और इसी के बाद Yogi Goverment ने एक बड़ा फैसला लेते हुए जाति आधारित रैलियों पर पूरी तरह रोक लगा दी है और पुलिस को भी निर्देश दिया है कि अब FIR में जाति नहीं लिखी जाएगी.
FIR और पुलिस दस्तावेजों में बदलाव
अब से पुलिस किसी भी FIR, गिरफ्तारी मेमो या नोटिस में आरोपी की जाति का जिक्र नहीं करेगी पर इसके बजाय माता-पिता का नाम लिखा जाएगा और यहां तक कि थानों के बोर्ड, वाहनों और पुलिस चौकियों पर लगे जातीय नारे और संकेत भी हटा दिए जाएंगे व सोशल मीडिया पर भी caste-based content पर Yogi Goverment की सख्त निगरानी रखी जाएगी पर हालांकि SC-ST Act जैसे विशेष मामलों में जाति का उल्लेख पहले की तरह जारी रहेगा.
मामला कैसे शुरू हुआ?
यह पूरा मामला 29 अप्रैल 2023 की एक घटना से जुड़ा है बता दें उस दिन पुलिस ने एक स्कॉर्पियो गाड़ी से शराब की बड़ी खेप पकड़ी थी और आरोपी प्रवीण छेत्री समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया था तो Yogi Goverment में FIR में पुलिस ने आरोपियों की जाति भी लिख दी और इसी पर प्रवीण छेत्री ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की मांग की थी पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ कहा कि जाति का जिक्र पुलिस रिकॉर्ड या सार्वजनिक जगहों पर कहीं भी नहीं होना चाहिए.
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राजनीतिक असर
Yogi Goverment के इस कदम से प्रदेश की जातीय राजनीति को गहरा झटका लग सकता है और अब कोई भी राजनीतिक दल या संगठन caste-based rally नहीं कर पाएगा यानी की मतलब चुनावी रणनीति में भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा और जिन नेताओं ने अब तक जाति की राजनीति पर अपना आधार खड़ा किया था तो उनके लिए यह चुनौती बन सकता है.
समाज पर प्रभाव
Yogi Goverment का यह कदम caste discrimination को रोकने की दिशा में अहम माना जा रहा है और हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यहां तक कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य में जाति का उन्मूलन एक केंद्रीय एजेंडा होना चाहिए और इसका मतलब है कि आगे आने वाले समय में जातीय पहचान के बजाय merit, education और skill को ज्यादा महत्व मिल सकता है.
प्रशासनिक बदलाव
Yogi Goverment ने इस फैसले को लागू करने के लिए पुलिस नियमावली और SOP में बदलाव किया जाएगा और साथ ही IT rules को और मजबूत करने की तैयारी भी होगी ताकि सोशल मीडिया पर जाति के नाम पर भड़काऊ कंटेंट फैलाने वालों पर रोक लगाई जा सके.
जनता की प्रतिक्रिया
लोगों के बीच इस फैसले को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया है और कुछ लोग इसे caste-free समाज की दिशा में जरूरी कदम मानते हैं, जबकि कुछ का कहना है कि राजनीतिक फायदे के लिए Yogi Goverment ऐसा कर रही है पर इतना तो तय है कि इस आदेश से आने वाले वक्त में उत्तर प्रदेश की राजनीति और समाज दोनों पर बड़ा असर पड़ेगा.