
संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित वह दिन है जब लोग अपने जीवन के संकटों से छुटकारा पाने के लिए व्रत और पूजा करते हैं। ‘संकष्टी’ का अर्थ होता है – ‘संकट को हरने वाली’, और चतुर्थी का संबंध गणेश जी से है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है, उसके जीवन की बाधाएं धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं। हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को यह व्रत किया जाता है, लेकिन वैशाख महीने की संकष्टी विशेष मानी जाती है। इस दिन चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है, और खास मंत्रों का जाप भी किया जाता है। आज 16 मई 2025 को यह चतुर्थी शुभ योगों में पड़ रही है।
चंद्रोदय का महत्व

इस बार संकष्टी चतुर्थी की शुरुआत 16 मई को सुबह 3:14 बजे से हो चुकी है। यह चतुर्थी 17 मई को सुबह 1:56 बजे तक रहेगी, लेकिन व्रत का पारण चंद्र दर्शन के बाद ही किया जाता है। आज चंद्रमा का उदय रात 9:47 बजे होगा, और उसी के बाद व्रती भोजन ग्रहण कर सकते हैं। इस समय चंद्रमा को अर्घ्य देना बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि चंद्रमा मानसिक संतुलन और मनोविकारों का कारक है। चंद्रमा के दर्शन से मानसिक शांति मिलती है और रोग, शोक, भय जैसे संकट दूर होते हैं। जो लोग इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं, उन्हें पूरे महीने शुभ फल मिलते हैं।
कैसे करें भगवान गणेश की आराधना
सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को साफ करें। गणेश जी की मूर्ति या चित्र को चौकी पर लाल कपड़े पर स्थापित करें। दूर्वा, मोदक, लाल फूल, गुड़ और सिंदूर से भगवान गणेश की पूजा करें। “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। गणेश चालीसा, संकटनाशक स्तोत्र और अथर्वशीर्ष का पाठ करें। रात को 9:47 बजे चंद्रमा को जल चढ़ाकर दर्शन करें और तभी व्रत तोड़ें।
संकष्टी चतुर्थी के व्रत से होने वाले फायदे
संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से जीवन में आ रही रुकावटें दूर होती हैं। विशेष रूप से नौकरी, व्यापार, शादी, संतान, कोर्ट केस या मानसिक तनाव से जुड़ी समस्याओं में यह व्रत चमत्कारी साबित होता है। गणेश जी को ‘विघ्नहर्ता’ कहा जाता है, और इस दिन उनका विशेष पूजन करने से हर क्षेत्र में सफलता मिलने लगती है। भक्तों का कहना है कि यह व्रत करने से घर का वातावरण भी शांत और सकारात्मक रहता है। शास्त्रों में भी संकष्टी व्रत का उल्लेख है और इसे देवताओं तक ने पूजा है। कई लोगों ने इसे करने के बाद अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस किए हैं।
भूलकर की भी ये गलतियां न करें नहीं तो व्रत का फल कम हो सकता है
पूरे दिन सच्चाई, शांति और संयम का पालन करें, क्योंकि व्रत सिर्फ भूखा रहना नहीं, बल्कि मानसिक अनुशासन भी है। झूठ बोलना, किसी से झगड़ा करना या कटु वचन कहना इस दिन निषिद्ध है। प्याज, लहसुन, मांस-मछली और नशे से दूर रहें। चंद्रमा के दर्शन से पहले कुछ भी न खाएं – यह नियम सबसे महत्वपूर्ण है। पूजा अधूरी न छोड़ें और शाम को समय पर चंद्रमा को अर्घ्य देना न भूलें। अगर ये नियम सही ढंग से नहीं माने गए, तो व्रत का संपूर्ण फल नहीं मिलता।
आज संकष्टी पर बोले ये विशेष मंत्र मिलेगा तुरन्त लाभ
संकष्टी चतुर्थी पर यदि आप गणेश जी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो ये मंत्र अवश्य बोलें:
“वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥”
इस मंत्र का 108 बार जप करें। कहा जाता है कि यह मंत्र हर कार्य में आने वाली बाधा को दूर करता है। इसके साथ ही ‘संकट नाशन गणेश स्तोत्र’ का पाठ भी दिन में एक बार अवश्य करें। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है और भय का नाश होता है।