Putin’s India Visit दिसंबर 2025 में होने जा रही है, जहां व्लादिमीर पुतिन पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. यह दौरा भारत-रूस शिखर सम्मेलन का हिस्सा होगा
भारत और रूस के रिश्ते
भारत और रूस के रिश्ते हमेशा से खास रहे हैं और अब इन रिश्तों में एक नया अध्याय जुड़ने वाला है क्योकी Kremlin की तरफ से कन्फर्म किया गया है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर 2025 में भारत का दौरा करेंगे और यहां वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे और भारत-रूस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.
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कुछ हफ्ते पहले ही यह चर्चा शुरू हुई थी कि पुतिन भारत आ सकते हैं और दरअसल पीएम मोदी के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल रूस गए थे और उन्होंने पुतिन को पीएम मोदी की तरफ से भारत आने का न्यौता दिया था और पुतिन ने इसे तुरंत स्वीकार कर लिया था और अब Kremlin के अधिकारी यूरी उशाकोव ने साफ कर दिया है कि पुतिन दिसंबर में भारत पहुंचेंगे.
भारत-रूस शिखर सम्मेलन 2025
इस बार भारत की राजधानी दिल्ली में 23वां वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन आयोजित होगा और इसमें दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी, रक्षा समझौते, ऊर्जा सहयोग और तकनीकी क्षेत्रों में नए MoU साइन होने की संभावना है और पुतिन और मोदी की यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि मौजूदा समय में ग्लोबल पॉलिटिक्स में भारत की स्थिति और रूस की भूमिका लगातार मजबूत हो रही है.
अमेरिका और ट्रंप पर असर
पुतिन के इस दौरे से अमेरिका और खासकर डोनाल्ड ट्रंप को झटका लगना तय माना जा रहा है और ट्रंप लगातार भारत पर दबाव बना रहे थे कि वह रूस से तेल खरीदना बंद कर दे पर भारत ने साफ कर दिया कि अपने किसानों व मछुआरों और डेयरी सेक्टर के हितों से कोई समझौता नहीं होगा और अमेरिका के 50% टैरिफ के बावजूद पीएम मोदी ने झुकने से इनकार कर दिया और रूस से तेल आयात जारी रखा.
असल में बता दें की ट्रंप को उम्मीद थी कि उनकी चेतावनियों के बाद भारत रूस से दूरी बना लेगा पर उल्टा भारत ने न सिर्फ रूसी तेल की खरीद बढ़ाई बल्कि रूस से डिस्काउंट पर डील भी की और यह कदम अमेरिका की स्ट्रेटेजी के खिलाफ जाता है और इसी वजह से पुतिन-मोदी मुलाकात को ट्रंप के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
भारत-रूस दोस्ती का नया दौर
भारत और रूस की दोस्ती दशकों से चली आ रही है फिर चाहे रक्षा सौदे हों या ऊर्जा की जरूरतें या दोनों देशों ने हमेशा एक-दूसरे का साथ दिया है और मौजूदा दौर में भी जब पश्चिमी देश रूस पर पाबंदी लगाए हुए हैं तो भारत ने संतुलित नीति अपनाई है और रूस से तेल और गैस आयात को बढ़ावा दिया है.
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पुतिन का यह दौरा भारत-रूस रिश्तों को और ज्यादा मजबूत करेगा और साथ ही यह संकेत भी देगा कि भारत किसी भी दबाव में अपनी विदेश नीति तय नहीं करता है और पीएम मोदी और पुतिन की यह मुलाकात कई अहम फैसलों की गवाह बनेगी और जो सीधे भारत के आम लोगों की जिंदगी से भी जुड़ेंगे फिर जैसे सस्ते तेल की सप्लाई व टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और डिफेंस इक्विपमेंट्स का प्रोडक्शन.