कैदियों के पुनर्वास की नई पहल Tamilnadu में शुरू हुई पूर्व-रिहाई और बाद-रिहाई 2025

By Shiv

Published on:

कैदियों के पुनर्वास की नई पहल Tamilnadu में शुरू हुई पूर्व-रिहाई और बाद-रिहाई 2025

तमिलनाडु सरकार ने कैदियों के पुनर्वास के लिए अनोखी योजना शुरू की है, जिसमें पूर्व-रिहाई और बाद-रिहाई परामर्श दिया जाएगा.

तमिलनाडु सरकार ने कैदियों के पुनर्वास

तमिलनाडु सरकार ने कैदियों के पुनर्वास को लेकर बड़ा कदम उठाया है और 1 सितम्बर 2025 से राज्य में एक नयी योजना शुरू हुई है और जिसके तहत 3 वर्ष या उससे अधिक समय तक जेल में सजा काट चुके कैदियों को परामर्श दिया जाएगा और इसमें रिहाई से पहले और रिहाई के बाद दोनों तरह का परामर्श शामिल है और उद्देश्य यह है कि कैदी जब जेल से बाहर आएं तो वे समाज में ढल सकें और अपराध की ओर वापस न जाएं.

योजना लागू करने की जिम्मेदारी

यह योजना तमिलनाडु डिस्चार्ज्ड प्रिजनर्स एड सोसाइटी यानी TNDPS के माध्यम से लागू की जा रही है और इसमें राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त नैदानिक मनोवैज्ञानिक शामिल होंगे और जेल और सुधार सेवा महानिदेशक महेश्वर दयाल ने कहा है कि इस योजना पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी और जरूरत पड़ने पर इसमें बदलाव भी किया जाएगा.

यह भी पढें – Agra News: झोलाछाप के खेल का भंडाफोड़, नकली इंजेक्शन के साथ 11वीं फेल दबोचा

पहले चरण में 350 कैदी होंगे शामिल

शुरुआती चरण में लगभग 350 कैदियों को इस योजना के दायरे में लिया जाएगा और इन कैदियों को तीन परामर्श सत्र दिए जाएंगे और पहला सत्र जेल से बाहर आने से पहले और बाकी दो सत्र रिहाई के बाद होंगे और इन बैठकों में उन्हें सामाजिक भेदभाव व परिवार से दूरी और रोजगार जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया जाएगा.

800 से अधिक मनोवैज्ञानिक होंगे शामिल

इस योजना में आठ सौ से अधिक मनोवैज्ञानिक हिस्सा लेंगे और हर परामर्श सत्र की लागत एक हजार रुपये तय की गई है और यानी एक कैदी पर कुल तीन हज़ार रुपये का खर्च आएगा और जेल में तैनात मनोवैज्ञानिक यह भी देखेंगे कि किस कैदी को लंबे समय तक अतिरिक्त सहायता की ज्यादा जरूरत है.

यह भी पढें – Russia के राष्ट्रपति पुतिन दिसंबर में आएंगे भारत, पीएम मोदी से होगी मुलाकात 2025

सरकार ने दिया दस लाख का शुरुआती बजट

तमिलनाडु सरकार ने इस पायलट योजना के लिए दस लाख रुपये का बजट रखा है और अब तक जेलों में दी जाने वाली परामर्श सेवाएँ केवल जेल के भीतर की समस्याओं पर केंद्रित रहती थीं पर बाहर आने के बाद कैदियों को असली मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं और यह नई योजना कैदियों को सामाजिक व पारिवारिक और आर्थिक कठिनाइयों से निपटने की ताकत देगी और यह कैदियों के लिए सुविधाजनक सावित हो सकता है.

विशेषज्ञों की चर्चा

कई विशेषज्ञों ने इस पहल का स्वागत किया है और टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान, मुंबई के प्रोफेसर विजय राघवन का कहना है कि यह योजना खासकर महिला कैदियों के लिए मददगार साबित होगी और महिलाएँ जेल से बाहर आने के बाद समाज के तानों और उपेक्षा का सबसे ज़्यादा सामना करती हैं.

क्यों ज़रूरी है यह कदम

भारत में जेल से बाहर आने के बाद कई कैदी समाज में ढल नहीं पाते और दोबारा अपराध कर बैठते हैं और इसे पुनरपराध यानी रिसिडिविज़्म कहा जाता है और तमिलनाडु की यह नई पहल इस समस्या को कम करने की कोशिश है और परामर्श से कैदी मानसिक रूप से मजबूत होंगे और उन्हें सही राह पर चलने का अवसर मिलेगा.

तमिलनाडु सरकार की यह योजना केवल एक परामर्श सेवा नहीं बल्कि कैदियों की ज़िंदगी को नई शुरुआत देने का प्रयास है और पूर्व-रिहाई और बाद-रिहाई परामर्श से कैदी नयी दिशा पाएंगे और समाज भी सुरक्षित बनेगा.

Leave a Comment