भारतीय जनता पार्टी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा इसको लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं पर अब तक किसी नाम की घोषणा नहीं हुई है और सवाल यह है कि जब पार्टी ने देश के आधे से ज़्यादा राज्यों में अपने प्रदेश अध्यक्ष चुन लिए हैं तो फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष तय करने में इतनी देर क्यों हो रही है और इसका सीधा जवाब है संघ और बीजेपी एकमत नहीं हैं.
क्या संघ और बीजेपी में मतभेद चल रहा है?
इस बार मामला सिर्फ नाम तय करने का नहीं है पर दरअसल पार्टी और संघ दोनों ही अलग-अलग सोच रखते हैं और बीजेपी चाहती है कि नया अध्यक्ष नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ अच्छे तालमेल में काम कर सके और वहीं संघ को ऐसा व्यक्ति चाहिए जो उसकी विचारधारा को मजबूती से आगे बढ़ा सके पर भले ही सरकार की नीतियों को पीछे रखना पड़े.
संघ के लिए साफ-सुथरी छवि वाला और 60 साल से कम उम्र का व्यक्ति ज्यादा उपयुक्त होगा और जबकि बीजेपी उम्र को उतनी अहमियत नहीं दे रही है वो पार्टी को ऐसा नेता चाहिए जो राजनीतिक चुनावी जंग में जीत दिला सके और खासकर बिहार और बंगाल जैसे राज्यों में.
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क्या ये फैसला सिर्फ संघ नहीं ले सकता?
अब बात करते हैं सबसे अहम मुद्दे की क्या संघ अकेले फैसला ले सकता है जवाब है नहीं क्योकी आज की बीजेपी वो नहीं रही जो 90 के दशक में थी और अब पार्टी केंद्र की सत्ता में लगातार तीन बार जीत चुकी है तो उसके पास खुद का रणनीतिक दिमाग है और लेकिन फिर भी, संघ की मर्जी के बिना वो अकेले कोई कदम नहीं उठा सकती.
जेपी नड्डा के उस बयान को याद करिए जिसमें उन्होंने कहा था कि अब बीजेपी को संघ के सहारे की जरूरत नहीं है पर 2024 के लोकसभा नतीजों के बाद जब बीजेपी को बहुमत के लिए जूझना पड़ा तब पार्टी को ये भी समझ में आ गया कि संघ की ताकत को नजरअंदाज करना आसान नहीं है.
क्या बिहार चुनाव तक टल सकता है फैसला?
फिलहाल बीजेपी में यही चर्चा है कि अध्यक्ष का फैसला मानसून सत्र के बाद लिया जाएगा यानी अगस्त के बाद पर ऐसा भी हो सकता है कि बिहार चुनाव तक इसे टाल दिया जाए और इसकी वजह साफ है अगर नए अध्यक्ष को अभी लाया गया तो उसे बिहार के प्रदेश नेतृत्व के साथ तालमेल बैठाने में समय लगेगा और इससे चुनावी रणनीति बिगड़ सकती है पर पार्टी फिलहाल यह चाहती है कि हर फैसला जीत के लिहाज से हो इसलिए जल्दबाजी नहीं की जा रही.
BJP के अध्यक्षों का अब तक का सफर
1980 में बनी बीजेपी ने अब तक 12 अध्यक्ष देखे हैं. इनमें से कुछ नाम आज भी पार्टी की पहचान हैं.
- अटल बिहारी वाजपेयी: पहले अध्यक्ष. जनसंघ से बीजेपी में रूपांतरण का नेतृत्व किया.
- लालकृष्ण आडवाणी: तीन बार अध्यक्ष बने. पार्टी को अखिल भारतीय स्तर तक ले गए.
- मुरली मनोहर जोशी: वैचारिक आधार को मज़बूत किया.
- कुशाभाऊ ठाकरे: संगठन को ज़मीनी स्तर पर मज़बूत किया.
- बंगारू लक्ष्मण: पहले दलित अध्यक्ष बने.
- राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी: संगठन और युवा नेतृत्व पर फोकस किया.
- अमित शाह: 2014–2019 के बीच पार्टी को राजनीतिक शिखर पर पहुंचाया.
- जेपी नड्डा: मौजूदा अध्यक्ष. 2024 लोकसभा चुनाव में नेतृत्व किया.
अगला चेहरा कौन हो सकता है ?
इस पर अब तक कोई खुलासा नहीं हुआ है पर अगर सूत्रों की माने तो बताते हैं कि भाजपा नेतृत्व एक ऐसे नेता को ढूंढ़ रहा है जो मोदी-शाह की रणनीति को आगे बढ़ा सके और साथ ही संघ को भी नाराज ना करे. राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश के कुछ नाम अंदरखाने चर्चा में हैं, लेकिन सहमति बन नहीं पा रही है क्योकी संघ चाहता है कि नया अध्यक्ष वैचारिक रूप से पूरी तरह प्रतिबद्ध हो और वहीं बीजेपी चाहता है कि अध्यक्ष एक कुशल मैनेजर और चुनाव जिताऊ चेहरा हो.







