क्या IMF की मदद आतंक की फंडिंग बनेगी? भारत की चेतावनी पर अरबों !

By Shiv

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IMF की $1 बिलियन किश्त से पाकिस्तान को राहत या आतंक को सहारा? भारत ने उठाए गंभीर सवाल

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इस्लामाबाद/नई दिल्ली, 10 मई 2025 — एक ओर भारत-पाकिस्तान सीमा पर बमबारी, ड्रोन हमले और तनाव चरम पर हैं, दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को $1 बिलियन की आर्थिक सहायता देकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। भारत ने इस मदद पर गंभीर आपत्ति जताई है और आरोप लगाया है कि यह राशि आतंकवाद के लिए फंडिंग में परिवर्तित हो सकती है।


❖ IMF से राहत, लेकिन भारत की नाराज़गी

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी बयान के अनुसार, IMF के कार्यकारी बोर्ड ने $7 बिलियन पैकेज की पहली समीक्षा को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत $1 बिलियन की किश्त तत्काल जारी कर दी गई। यह मंजूरी उस समय आई है जब भारत लगातार यह कहता रहा है कि पाकिस्तान क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म को समर्थन दे रहा है।

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसे पाकिस्तान की आर्थिक दिशा में “सुधार और विकास की ओर बढ़ते कदम” बताया, जबकि भारत ने इस फंड को “आतंक का इनाम” बताया है।


❖ भारत की चेतावनी: “IMF का पैसा आतंकी हाथों में न पहुंचे”

भारत ने शुक्रवार को IMF बोर्ड मीटिंग में 2.3 बिलियन डॉलर के लोन पैकेज (जिसमें से 1 बिलियन EFF और 1.3 बिलियन RSF के तहत प्रस्तावित था) पर स्पष्ट विरोध दर्ज कराया। भारत सरकार ने IMF से कहा:

“पाकिस्तान द्वारा लगातार प्रायोजित आतंकवाद को प्रोत्साहन देना वैश्विक मूल्यों का मज़ाक उड़ाता है और वित्तीय संस्थानों की प्रतिष्ठा को जोखिम में डालता है।”

भारत ने यह भी जोड़ा कि IMF जैसे संस्थानों से मिलने वाले “fungible inflows” (यानी लचीले खर्च वाले फंड्स) का उपयोग सैन्य या आतंकवादी उद्देश्यों के लिए हो सकता है।


❖ IMF की चुप्पी, अमेरिका समेत अन्य दाताओं पर बढ़ा दबाव

इस निर्णय पर IMF की ओर से कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की गई, जबकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा संपर्क करने पर भी उन्होंने जवाब नहीं दिया। अमेरिका और अन्य G7 देशों पर अब यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या वे ऐसी परिस्थितियों में पाकिस्तान की आर्थिक मदद कर के ग्लोबल सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं?

विशेषज्ञों के अनुसार, IMF के इस निर्णय से आने वाले समय में फाइनेंशियल ट्रैकिंग और “terror-funding audits” की मांग जोर पकड़ सकती है।


❖ पाकिस्तान का रुख: “हमारे हालात सुधर रहे हैं”

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय ने बयान में दावा किया कि देश की अर्थव्यवस्था अब “स्थिरता और विकास की दिशा” में जा रही है। यह वही पाकिस्तान है जो पिछले साल तक विनिमय दर, महंगाई और विदेशी मुद्रा भंडार के संकट से जूझ रहा था।

हालांकि आलोचक मानते हैं कि यह “कागजी सुधार” है, जिसमें बुनियादी संरचनात्मक सुधार कम और संघर्षशील राजनीति अधिक शामिल है।


❖ भारत-पाक संबंधों पर असर और आगे की रणनीति

भारत द्वारा स्पष्ट आपत्ति जताने के बावजूद पाकिस्तान को IMF से सहायता मिलना, दोनों देशों के बीच कूटनीतिक मतभेदों को और गहरा कर सकता है। यह स्थिति द्विपक्षीय वार्ता की संभावनाओं को और कमजोर करती है।

साथ ही, भारत अब FATF और अन्य वित्तीय निगरानी एजेंसियों के सामने भी यह मुद्दा उठाने की तैयारी कर सकता है, जिससे पाकिस्तान पर वैश्विक स्तर पर वित्तीय दबाव बढ़ाया जा सके।


क्या आर्थिक मदद से बढ़ेगा आतंक?

इस पूरे घटनाक्रम ने यह बड़ा प्रश्न खड़ा कर दिया है कि क्या अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं अपनी मूल जिम्मेदारी और सतर्कता निभा रही हैं या नहीं? जब एक तरफ भारत के शहरों पर ड्रोन और मिसाइल हमले हो रहे हैं, वहीं हमलावर देश को उसी समय अंतरराष्ट्रीय सहायता मिलना एक विरोधाभासी संदेश देता है।

IMF का यह कदम एक राजनीतिक जोखिम बन सकता है — खासकर तब, जब आतंक के खिलाफ वैश्विक युद्ध एकजुटता की मांग करता है, न कि दोहरे मानदंड।


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