फाइलेरिया एक खतरनाक बीमारी है जो मच्छरों के काटने से फैलती है. इस आर्टिकल में जानिए फाइलेरिया के लक्षण, कारण, इलाज और बचाव के आसान तरीके.
फाइलेरिया क्या है?
फाइलेरिया एक खतरनाक बीमारी है जिसे आमतौर पर लोग हाथीपाँव के नाम से जानते हैं और यह बीमारी शरीर में धीरे-धीरे घर बना लेती है और जब तक इसके लक्षण दिखाई देते हैं तब तक शरीर का कोई हिस्सा असामान्य रूप से सूज चुका होता है. ज्यादातर मामलों में पैरों में यह बीमारी ज्यादा देखने को मिलती है. और यही वजह है कि लोग इसे हाथीपाँव कहने लगे.
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असल में फाइलेरिया एक परजीवी से फैलने वाली बीमारी है और यह परजीवी मच्छरों के जरिए इंसान के खून में पहुँचता है और धीरे-धीरे शरीर में उसकी संख्या बढ़ती है और लिम्फ सिस्टम को नुकसान पहुँचाती है और यही सिस्टम हमारे शरीर से गंदगी और फ्लूइड बाहर निकालता है और जब यह ब्लॉक हो जाता है तो शरीर में सूजन आ जाती है.
फाइलेरिया कैसे फैलता है?
फाइलेरिया का सबसे बड़ा कारण मच्छरों का काटना है और जब मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति का खून चूसता है तो उसके खून में मौजूद फाइलेरिया के कीड़े मच्छर के शरीर में चले जाते हैं और बाद में वही मच्छर जब किसी स्वस्थ इंसान को काटता है तो यह परजीवी उसके शरीर में पहुंचकर धीरे-धीरे फैलने लगता है.
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पर समस्या यह है कि फाइलेरिया तुरंत अपना असर नहीं दिखाता है कई बार तो इसे पनपने में 5 से 7 साल तक लग जाते हैं और यही वजह है कि लोग बीमारी को पहचान नहीं पाते और तब तक इसका असर गंभीर हो चुका होता है.
फाइलेरिया के लक्षण
अगर आप या आपके आसपास किसी को यह समस्याएं दिखें तो इसे हल्के में बिल्कुल न लें और यह फाइलेरिया के शुरुआती या गंभीर लक्षण हो सकते हैं.
- पैरों या हाथों में असामान्य और लगातार सूजन
- बार-बार बुखार आना और शरीर में कंपकंपी महसूस होना
- शरीर के सूजे हिस्से में भारीपन और दर्द रहना
- स्किन पर बार-बार इन्फेक्शन होना
- लंबे समय तक थकान और कमजोरी महसूस करना
- सूजे हुए हिस्से से बदबू आना या स्किन का सख्त होना
यह सब लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से जांच करवाना जरूरी है क्योंकि समय रहते इलाज किया गया तो स्थिति को काबू में लाया जा सकता है.
फाइलेरिया का खतरा किन जगहों पर ज्यादा है?
फाइलेरिया आमतौर पर उन इलाकों में ज्यादा फैलता है जहां साफ-सफाई की कमी होती है और गंदे पानी का जमाव व खुली नालियां और मच्छरों का ज्यादा प्रकोप इस बीमारी को बढ़ावा देते हैं और
भारत में यह बीमारी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में ज्यादा देखने को मिलती है और ग्रामीण इलाकों और कस्बों में रहने वाले लोग इसके ज्यादा शिकार होते हैं क्योंकि वहां मच्छरों की संख्या और गंदगी अधिक होती है.
फाइलेरिया का इलाज कैसे होता है?
फाइलेरिया को पूरी तरह से खत्म करना आसान नहीं है पर इसका इलाज मौजूद है और सही समय पर दवाइयों और मेडिकल केयर से मरीज की स्थिति को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है.
- दवाइयाँ – डॉक्टर खास एंटी-पैरासाइटिक दवाएँ देते हैं जो शरीर में मौजूद कीड़ों को मार देती हैं.
- साफ-सफाई – सूजे हुए हिस्से को साफ रखना बेहद जरूरी है ताकि इन्फेक्शन न फैले.
- सर्जरी – कई मामलों में जब सूजन बहुत ज्यादा हो जाती है, तो सर्जरी की मदद से राहत दिलाई जाती है.
- सरकारी दवा अभियान – भारत सरकार और WHO समय-समय पर फाइलेरिया रोकथाम के लिए दवा वितरण अभियान चलाते हैं. गांव-गांव में स्वास्थ्य कार्यकर्ता जाकर मुफ्त दवाइयां देते हैं.
फाइलेरिया से बचाव कैसे करें?
बीमारी से बचाव हमेशा इलाज से आसान होता है और अगर आप सावधानी बरतें तो फाइलेरिया जैसी बीमारी से बच सकते हैं.
- रात में सोते समय हमेशा मच्छरदानी का इस्तेमाल करें
- मच्छर भगाने वाली क्रीम, स्प्रे या कॉइल का प्रयोग करें
- घर और आसपास पानी जमा न होने दें
- सरकारी स्वास्थ्य शिविरों में दी जाने वाली दवाइयां जरूर खाएँ
- शरीर की साफ-सफाई पर ध्यान दें और खासकर पैरों को हमेशा साफ रखें
फाइलेरिया इतना खतरनाक क्यों है?
फाइलेरिया का सबसे बड़ा खतरा यह है कि एक बार शरीर में जमने के बाद यह बीमारी जिंदगीभर परेशान कर सकती है और कई मरीजों को चलने-फिरने में इतनी दिक्कत हो जाती है कि उनकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो जाती है और
दूसरी बड़ी समस्या यह है कि लोग इस बीमारी को छिपाते रहते हैं और इलाज में देर कर देते हैं और जबकि शुरुआत में इलाज शुरू कर दिया जाए तो इसके असर को काफी हद तक रोका जा सकता है.
फाइलेरिया सिर्फ बीमारी नहीं
फाइलेरिया सिर्फ बीमारी नहीं है बल्कि एक सामाजिक समस्या भी है और यह बीमारी गरीब और ग्रामीण इलाकों में ज्यादा फैलती है क्योंकि वहां जागरूकता और सुविधाओं की कमी होती है और अगर लोग साफ-सफाई पर ध्यान दें और मच्छरों से बचाव करें और समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लें तो इस बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है.