Breaking News 1983 के हत्या मामले में सत्येंद्र सिंह की सजा माफ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लिया बड़ा फैसला

By Vipin Singh

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Breaking News: Uttar Pradesh Governor Anandiben Patel ने 1983 के हत्या मामले में उम्रकैद पाए सत्येंद्र सिंह की सजा माफ कर दी है। जानिए कौन हैं सत्येंद्र सिंह

कौन हैं सत्येंद्र सिंह?

Breaking News में सत्येंद्र सिंह गाजीपुर जिले के जमानिया थाना क्षेत्र के धुस्का गांव के निवासी हैं। वह 1983 में एक हत्या के मामले में दोषी पाए गए थे और सत्र न्यायाधीश गाजीपुर ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। और लंबे समय से वह वाराणसी सेंट्रल जेल में सजा काट रहे थे। जेल प्रशासन की रिपोर्ट में बताया गया कि सत्येंद्र ने अपने पूरे कारावास के दौरान बेहद अनुशासित और शांतिपूर्ण व्यवहार बनाए रखा। इसी अच्छे आचरण की वजह से शासन ने उनकी सजा माफ करने की सिफारिश की थी।

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राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का निर्णय

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने जेल प्रशासन और शासन की सिफारिशों पर गौर करते हुए सत्येंद्र सिंह की शेष सजा माफ करने का फैसला लिया। आदेश 4 नवंबर 2025 को संयुक्त सचिव सूर्य प्रकाश मिश्र की ओर से जारी किया गया, और जबकि अनु सचिव ममता श्रीवास्तव ने आदेश को संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाया।

Breaking News आदेश में यह स्पष्ट किया गया कि अगर सत्येंद्र किसी अन्य मामले में बंद नहीं हैं, तो उन्हें दो जमानतें और एक मुचलका भरने के बाद रिहा किया जाए। यह निर्णय केवल एक कैदी की रिहाई नहीं, बल्कि सुधारात्मक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

अदालत से लेकर जेल तक का सफर

सत्र न्यायाधीश गाजीपुर ने 1983 में सत्येंद्र सिंह को हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा दी थी। बाद में 2018 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस सजा को घटाकर 10 वर्ष कर दिया है। और अब तक सत्येंद्र ने करीब आठ वर्ष की सजा पूरी कर ली है, जिसमें सपरिहार (remission) अवधि भी शामिल है।

Breaking News डीएम अविनाश कुमार ने बताया कि रिहाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। वहीं, वाराणसी सेंट्रल जेल के जेलर शेष नाथ यादव ने कहा कि सत्येंद्र का व्यवहार जेल में हमेशा अनुशासित और शांतिपूर्ण रहा है। अगस्त 2024 में उन्हें गाजीपुर से वाराणसी जेल में ट्रांसफर किया गया था, जहां उनका आचरण लगातार अच्छा बना रहा।

सुधारात्मक न्याय की मिसाल

राज्यपाल का यह कदम सुधारात्मक न्याय (Reformative Justice) की दिशा में मिसाल बन गया है और यह बताता है कि न्याय केवल सजा देना ही नहीं है, बल्कि सुधार और पुनर्वास की भी प्रक्रिया है। अगर कोई व्यक्ति जेल में रहकर अपने आचरण और व्यवहार में सुधार लाता है, तो उसे समाज में दोबारा अवसर दिया जा सकता है।

Breaking News कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा निर्णय हर कैदी को नहीं मिलता। यह तभी संभव होता है जब कैदी का व्यवहार अनुशासित रहा हो और उसके खिलाफ कोई दूसरा मामला न हो और शासन और जेल प्रशासन की विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर ही राज्यपाल अंतिम फैसला लेते हैं।

शासन और जेल विभाग की भूमिका

उत्तर प्रदेश शासन ने हाल के वर्षों में जेल सुधार और पुनर्वास की दिशा में कई कदम उठाए हैं। और जेलों में शिक्षा, योग और मानसिक स्वास्थ्य पर आधारित कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया गया है, ताकि कैदी अपनी सोच और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकें।

Breaking News सत्येंद्र सिंह का मामला इसी नीति का एक परिणाम है। शासन और जेल प्रशासन ने उनके अनुशासित व्यवहार को पहचाना और राज्यपाल के समक्ष माफी की संस्तुति भेजी। और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इस पर सहमति देकर यह दर्शाया कि शासन की नीतियों में सुधार की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है।

समाज में क्या संदेश गया

सत्येंद्र सिंह की सजा माफी ने समाज में एक सकारात्मक संदेश दिया है। यह दिखाता है कि अगर कोई व्यक्ति अपने कर्मों से सुधार दिखाता है, तो कानून और शासन उसे दूसरा मौका दे सकते हैं। और यह फैसला उन सभी कैदियों के लिए प्रेरणा बन सकता है जो सुधार के रास्ते पर चलना चाहते हैं।

राज्यपाल के इस निर्णय से यह भी साफ हो गया है कि कानून के भीतर दया और मानवता के लिए भी जगह है। पर Breaking News भविष्य में ऐसे मामलों को और अधिक संवेदनशील दृष्टिकोण से देखने की संभावना है।

आगे की प्रक्रिया

डीएम अविनाश कुमार और जेल प्रशासन ने बताया कि सत्येंद्र की रिहाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। आदेशानुसार, उन्हें आवश्यक जमानतें और मुचलका भरने के बाद जेल से रिहा किया जाएगा। और रिहाई के बाद प्रोबेशन अधिकारी उनकी निगरानी करेंगे, ताकि समाज में उनका पुनर्वास ठीक ढंग से हो सके।

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सत्येंद्र सिंह का मामला यह साबित करता है कि कानून केवल सजा देने के लिए नहीं, बल्कि सुधार और इंसानियत के लिए भी बना है। और अगर कोई व्यक्ति सच में अपने व्यवहार से यह दिखा दे कि वह बदल चुका है, तो समाज और राज्य को उसे स्वीकार करना चाहिए।

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