Agra में फतेहाबाद का नाम बदलकर सिंदूरपुरम होगा प्रस्ताव पास

By Shiv

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आगरा, 27 जून 2025 – आगरा जिला पंचायत ने शुक्रवार को एकमत से ऐतिहासिक प्रस्ताव पास किया है जिसके अनुसार फतेहाबाद कस्बे का नाम बदलकर अब सिंदूरपुरम और वहीं स्थित बादशाही बाग का नाम बदलकर ब्रह्मा बाग रखा जाएगा और पंचायत की बैठक में 41 में से 41 सदस्य मौजूद थे और सभी ने प्रस्ताव के पक्ष में अपना मतदान किया और अब यह प्रस्ताव उत्तर प्रदेश राज्य सरकार को भेजा जाएगा और अंतिम मंजूरी भी वही देगें.

नाम बदलने के पीछे क्या है इतिहास

इस बदलाव की मांग वर्षों से की जा रही थी पर इस बार इसका कारण स्पष्ट रूप से Operation Sindoor बताया गया है और यह नाम वर्ष 1658 की उस ऐतिहासिक सैन्य घटना की याद में प्रस्तावित किया गया है जिसमें क्षेत्रीय हिन्दू सेनानायकों ने औरंगजेब के खिलाफ बहुत बड़ी भूमिका निभाई थ और सिंदूर शब्द उस सम्मान को दिखाता है जो उस समय में धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए पूर्ण समर्पित था.

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Badshahi Bagh भी अब Brahma Bagh होगा

फतेहाबाद क्षेत्र के बादशाही बाग का नाम भी बदलकर ब्रह्मा बाग रखने का प्रस्ताव पारित किया गया है और पंचायत सदस्यों ने इसे सांस्कृतिक पहचान की पुनर्स्थापना का प्रतीक बताया है साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष, श्रीमती विमला चौहान ने कहा है कि अब समय है कि इतिहास के उन प्रतीकों को सम्मान मिले जो हमारी संस्कृति और वीरता से जुड़े हैं.

पंचायत में क्या हुआ?

बैठक में ये बिंदु प्रमुख रहे-

  • क्षेत्र के नागरिकों ने इस मांग को लंबे समय से उठाया था. और
  • कई सामाजिक संगठनों ने समर्थन भी दिया और साथ ही
  • कोई विरोध दर्ज नहीं हुआ और फिर
  • प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया.

राज्य सरकार के हाथ में अंतिम फैसला

यह प्रस्ताव अब उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार को भेजा जाएगा और गृह मंत्रालय, भाषा विभाग, और भू-राजस्व विभाग इस पर जांच भी करेंगे साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय से हरी झंडी मिलते ही राजपत्र (Gazette Notification) जारी किया जाएगा फिर इस प्रक्रिया में आम तौर पर 2 से 6 महीने का समय लगता है.

जाने स्थानीय लोगों की राय

रामनिवास शर्मा, स्थानिक निवासी ने कहा ये फैसला बहुत देर से आया है अब फतेहाबाद को उसकी असली पहचान मिलने जा रही है और वहीं स्कूल टीचर शाहिना बेगम ने कहा है की अगर इतिहास की गरिमा को बनाए रखना है तो ये कदम ज़रूरी है मगर साथ ही सभी समुदायों की सहमति भी जरूरी है.

इतिहासकार क्या कहते हैं?

वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. प्रमोद सिंह के अनुसार 1658 के कालखंड में इस क्षेत्र ने हिन्दू जागरण और सैनिक प्रतिरोध की ऐतिहासिक मिसाल कायम की थी और ऐसे नाम परिवर्तन उसी स्मृति को संजोने की कोशिश की जा रही है साथ ही फतेहाबाद का सिंदूरपुरम बनना एक सांस्कृतिक और राजनीतिक दोनों दृष्टिकोण से बड़ा कदम माना जा रहा है और अगर सरकार से मंजूरी मिल जाती है तो यह बदलाव न सिर्फ नक्शे में दिखेगा बल्कि इतिहास में एक नया अध्याय भी जोड़ेगा

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