हमारी उम्र जैसे-जैसे बढ़ती है वैसे ही शरीर की healing power धीरे-धीरे कम होने लगती है और जो चोट कभी 10 या 15 साल पहले लगी थी वो अचानक फिर से दर्द देने लगती है घुटने में पुरानी मोच और कंधे का फ्रैक्चर या फिर पीठ की चोट हो ये सब बुढ़ापे में फिर से परेशान करने लगती हैं पर असल में ये कोई मानसिक भ्रम नहीं होता बल्कि इसके पीछे शारीरिक और न्यूरोलॉजिकल कारण होते हैं.
जोड़ों की ताकत घटती है
बुढ़ापे में cartilage (जोड़ों की cushion) पतली होने लगती है जिससे पहले से चोट खाए हुए joints पर दबाव बढ़ता है और उस हिस्से में blood circulation भी कम हो जाता है जिससे stiffness और दर्द बढ़ने लगता है.
यह भू पढें – अगर आपका BP भी कभी बढ़ता, कभी गिरता है? अपनाएं ये 7 घरेलू नुस्खे
nerves हो जाती हैं संवेदनशील
पुरानी चोट के आसपास की nerves धीरे-धीरे कमजोर हो जाती हैं और जैसे ही मौसम बदलता है या शरीर थकता है तो वो nerves दिमाग को तेज दर्द का signal देने लगती हैं और इसी कारण अचानक पुराना दर्द उभर आता है.
मौसम का असर बढ़ जाता है
ठंड के मौसम में या बारिश के समय पर joints में सूजन और अकड़न ज्यादा महसूस होने लगती है और बार-बार temperature और pressure में बदलाव होने से पुराने चोट वाले हिस्से पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है.
शरीर की मरम्मत की ताकत घटती है
30 की उम्र के बाद से ही शरीर की natural मरम्मत की क्षमता कम होने लगती है और चोट की जगह जो tissue कभी heal नहीं हुए थे वो बुढ़ापे में और भी कमजोर हो जाते हैं इसलिए दर्द दोबारा शुरू हो जाता है.
ज्यादा दवाएं काम नहीं करतीं
बुजुर्गों में painkillers और सूजन की दवाओं का असर कम हो जाता है और कई बार दवाएं side effect देने लगती हैं जिससे लोग मजबूरी में दर्द झेलते रहते हैं.
क्या है इसका घरेलू इलाज?
- हल्की स्ट्रेचिंग करें – रोज सुबह joints को हिलाना बेहद जरूरी है.
- गर्म पानी से सेंकें – दर्द वाली जगह पर गरम सेंक आराम देता है.
- हल्दी वाला दूध पिएं – anti-inflammatory होता है.
- सीधी पीठ और सही बैठने का अभ्यास करें.
- Calcium और Vitamin D भरपूर लें
- पानी की कमी न होने दें – हाइड्रेशन बहुत जरूरी है.
- फिजियोथेरेपिस्ट से सलाह लें, खासकर अगर दर्द बार-बार हो.
क्या ये दर्द हमेशा बना रहेगा?
नहीं अगर आप सही से देखभाल करें तो दिनचर्या में थोड़े बदलाव लाएं और समय रहते इलाज लें तो पुरानी चोट का दर्द काफी हद तक ठीक हो सकता है पर दवा के बजाय lifestyle को ठीक करना ज्यादा असरदार होता है.