संघर्ष विराम या युद्ध विराम? सियासत, मिसाइल और संदेश का संग्राम!

By Shiv

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भारत-पाक संघर्ष विराम: ऑपरेशन सिंदूर के बाद शांति या रणनीतिक विराम?

Kashmir, India – May. 04, 2025: An paramilitary soldier stands at the commercial hub of Lal Chowk in Srinagar,on May 04,2025. (Photo By Waseem Andrabi /Hindustan Times)

नई दिल्ली | इस्लामाबाद | वॉशिंगटन — चार दिन की भीषण सैन्य झड़पों के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच अचानक संघर्ष विराम की घोषणा ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। लेकिन क्या ये सच में शांति की शुरुआत है या सिर्फ एक अस्थायी विराम?

इस पूरे घटनाक्रम में सैन्य कार्रवाई, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और आंतरिक राजनीतिक संकेत एक साथ सामने आए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मामला जितना दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा गहराई लिए हुए है।


ट्रंप की घोषणा और कूटनीति का खेल

संघर्ष विराम की शुरुआत अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस घोषणा से हुई जिसमें उन्होंने भारत और पाकिस्तान के नेताओं की “लीडरशिप” की सराहना करते हुए कहा कि वह दोनों देशों के साथ व्यापारिक रिश्तों को “काफी हद तक बढ़ाने” जा रहे हैं।

ट्रंप की इस टिप्पणी को केवल प्रशंसा नहीं, बल्कि एक दबावयुक्त मध्यस्थता के रूप में भी देखा जा रहा है—एक ऐसा संकेत जो दिखाता है कि अमेरिका अब भी दक्षिण एशियाई संकटों में अपनी भूमिका को बनाए रखना चाहता है।


मोदी की आपात बैठक और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की रणनीति

संघर्ष विराम की घोषणा से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक उच्चस्तरीय बैठक की जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, NSA अजित डोभाल, और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद थे। इस बैठक में हुई रणनीतिक चर्चा के बाद ही पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कार्रवाई को सार्वजनिक किया गया।

राजनाथ सिंह ने लखनऊ से वर्चुअली BrahMos Aerospace Testing Facility का उद्घाटन करते हुए कहा:

“ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं—ये भारत की राजनीतिक, सामाजिक और रणनीतिक इच्छाशक्ति का प्रतीक है।”

भारत ने इस ऑपरेशन के तहत 8 सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें पाकिस्तान के रडार यूनिट्स और हथियार भंडार शामिल थे।


संघर्ष विराम के बावजूद पाकिस्तान की धोखेबाज़ी

संघर्ष विराम की घोषणा शनिवार को शाम 5 बजे हुई, लेकिन उसके कुछ ही घंटों बाद जम्मू-कश्मीर में कई जगह ड्रोन देखे गए और विस्फोट हुए। भारतीय वायुसेना ने इन खतरों को निष्क्रिय करने के लिए तत्काल कार्रवाई की।

भारत ने पाकिस्तान को “गंभीरता और जिम्मेदारी” से स्थिति संभालने की चेतावनी दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मिस्री ने दो टूक कहा:

“हम पाकिस्तान से अपेक्षा करते हैं कि वह संघर्ष विराम के उल्लंघनों को गंभीरता से ले और स्थिति को जिम्मेदारी से संभाले।”


पाकिस्तान का बदला रुख और शहबाज़ शरीफ का ‘शांतिपाठ’

शनिवार रात को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने अचानक सुर बदलते हुए कश्मीर और जल-विवाद जैसे मुद्दों को “शांतिपूर्ण बातचीत” से हल करने की बात कही। उन्होंने अपनी सरकार और विपक्ष की एकता की भी तारीफ की—एक ऐसा राजनीतिक संदेश, जो आंतरिक असंतोष को शांत करने का प्रयास कहा जा सकता है।


कश्मीर में सामान्य हालात, लेकिन सीमाओं पर सतर्कता

अखनूर, राजौरी, पुंछ जैसे इलाकों में रविवार सुबह हालात सामान्य दिखे। लोग अपनी दिनचर्या में लौटे क्योंकि रातभर कोई गोलीबारी नहीं हुई। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि BSF और सेना हाई अलर्ट पर बनी रहेगी, खासकर क्योंकि हाल ही में Jaish-e-Mohammed जैसे संगठनों द्वारा घुसपैठ की कोशिशें बढ़ी हैं।


कूटनीतिक परिणाम: चीन, अमेरिका और तुर्की का रोल

इससे पहले चीन ने पाकिस्तान को खुला समर्थन देते हुए भारत से “संयम” बरतने को कहा। वहीं तुर्की और UAE ने पाकिस्तान से बात कर संघर्ष विराम का स्वागत किया।

यह स्पष्ट करता है कि इस संघर्ष के दौरान दक्षिण एशिया की राजनीति में अंतरराष्ट्रीय ताकतों का हस्तक्षेप भी अहम रहा है।


प्रमुख बिंदु:

  • संघर्ष विराम की घोषणा शनिवार को 5 बजे हुई, जब पाकिस्तान के DGMO ने भारत के DGMO से संपर्क किया।
  • भारत ने 26 भारतीयों की मौत के बदले ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत 9 आतंकी ठिकानों पर हमले किए।
  • संघर्ष विराम के बावजूद पाकिस्तान ने ड्रोन और विस्फोटों से स्थिति बिगाड़ने की कोशिश की।
  • जम्मू-कश्मीर में ₹10 लाख मुआवजा पीड़ित परिवारों को देने की घोषणा की गई।
  • अमेरिका और चीन दोनों देशों से जुड़े रहे, लेकिन संदेश अलग-अलग थे।

भारत-पाकिस्तान का यह संघर्ष विराम ना सिर्फ सैन्य दबाव, बल्कि कूटनीतिक चालबाज़ियों, अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप और राजनीतिक संकेतों का मिला-जुला परिणाम है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने यह दिखा दिया है कि भारत अब जवाबी कार्रवाई में किसी तरह की ढील नहीं बरतेगा, वहीं पाकिस्तान की दोहरी नीति फिर उजागर हुई।

क्या यह संघर्ष विराम लंबे समय तक टिक पाएगा या फिर यह केवल अगली सैन्य कार्रवाई से पहले का विराम है? जवाब समय देगा, लेकिन आज की स्थिति भारत की निर्णायक नीति और सैन्य शक्ति का प्रमाण बन गई है।

क्या आप चाहते हैं कि अगली रिपोर्ट में ऑपरेशन सिंदूर की विस्तृत सैन्य रणनीति और इसके असर पर गहराई से विश्लेषण किया जाए?

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