इस विधेयक का उद्देश्य यह है कि 2029 के बाद चुनी गई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के साथ समाप्त हो। इसके तहत राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभा चुनावों को लोकसभा चुनावों के साथ सिंक्रोनाइज़ किया जाएगा।

पिछले सप्ताह, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दो प्रमुख संशोधन विधेयकों को मंजूरी दी, जो ‘एक देश, एक चुनाव’ की प्रक्रिया को लागू करने के लिए जरूरी हैं। इन संशोधनों की सिफारिश राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने की थी।
इनमें से एक विधेयक राज्य विधानसभाओं की अवधि को लोकसभा के कार्यकाल के साथ जोड़ता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में चुनाव एक साथ हों। दूसरा विधेयक तीन केंद्र शासित प्रदेशों – दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर – की विधानसभाओं में बदलाव का प्रस्ताव रखता है।
हालांकि, यह प्रावधान 2034 से पहले लागू होने की संभावना नहीं है। इसके अलावा, सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई विधानसभा तय समय से पहले भंग होती है, तो नए चुनाव उसी विधानसभा के शेष कार्यकाल को पूरा करने के लिए कराए जाएंगे।
सरकार ने दावा किया है कि एक साथ चुनाव होने से चुनावी प्रक्रिया और शासन में स्थिरता आएगी, साथ ही नीति निर्माण में होने वाले अवरोधों को भी रोका जा सकेगा। वहीं, विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव को भारत के संघीय ढांचे पर हमला करार दिया है। ममता बनर्जी ने इसे “लोकतंत्र और राज्यों की स्वायत्तता के खिलाफ” बताया।
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