राजस्थान की स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) ने शनिवार को उत्तर प्रदेश स्थित JS यूनिवर्सिटी के चांसलर और रजिस्ट्रार समेत तीन लोगों को फर्जी डिग्री घोटाले में गिरफ्तार किया। यह घोटाला PTI-2022 भर्ती परीक्षा में सामने आया, जहां कई उम्मीदवारों ने बैकडेटेड BPEd डिग्री के जरिए परीक्षा पास करने की कोशिश की।
ALSO READ – गंभीर की जीत, पर परीक्षा बाकी!

कैसे खुला घोटाले का राज?
SOG के एडीजी वीके सिंह ने बताया कि इस जांच की शुरुआत राजस्थान में PTI-2022 परीक्षा के अभ्यर्थियों की प्रोफाइल जांच से हुई। कई उम्मीदवारों की शैक्षणिक पृष्ठभूमि संदिग्ध पाई गई, जिससे यह खुलासा हुआ कि JS यूनिवर्सिटी बिना छात्रों की उपस्थिति के ही फर्जी डिग्रियां बेच रही थी।
ALSO READ – एयर इंडिया फ्लाइट में खतरे की अफवाह, मुंबई लौटी!
JS यूनिवर्सिटी की स्थापना 2015 में सुखेश कुमार ने की थी, जो वर्तमान में इसके चांसलर और आगरा सरकारी कॉलेज के प्रिंसिपल भी हैं। सुखेश, रजिस्ट्रार नंदन मिश्रा और निजी एजेंट अजय भारद्वाज ने पिछले 10 वर्षों में हजारों फर्जी डिग्रियां बेचीं।
फर्जी डिग्रियां कैसे जारी की गईं?
- विश्वविद्यालय की BPEd कोर्स की कुल सीटें 100 थीं, लेकिन 2022 में 254 से अधिक छात्रों ने डिग्री प्राप्त करने का दावा किया।
- 2,067 छात्रों ने आवेदन में JS यूनिवर्सिटी का नाम दिया, जबकि यूनिवर्सिटी की कुल क्षमता इतनी नहीं थी।
- कई उम्मीदवारों ने डिग्री सत्यापन के दौरान JS यूनिवर्सिटी की डिग्री दिखाई, लेकिन आवेदन में किसी अन्य विश्वविद्यालय का नाम दिया था।
गिरफ्तारी और विदेश भागने की कोशिश
SOG ने शनिवार को दिल्ली एयरपोर्ट से चांसलर सुखेश कुमार को गिरफ्तार किया, जब वह विदेश भागने की कोशिश कर रहे थे।
अजय भारद्वाज का नाम राजस्थान के कुख्यात पेपर लीक मास्टरमाइंड भूपेंद्र सरण से भी जुड़ा हुआ है। भारद्वाज राजस्थान और मेघालय में दो और निजी विश्वविद्यालय खोलने की योजना बना रहा था।

UGC पहले ही कर चुका था सख्त कार्रवाई
इस घोटाले में फंसने के बाद UGC ने जनवरी 2025 में JS यूनिवर्सिटी को PhD डिग्री जारी करने से प्रतिबंधित कर दिया था। इससे पहले, OPJS यूनिवर्सिटी के खिलाफ भी 43,000 से ज्यादा फर्जी डिग्री जारी करने का मामला दर्ज हुआ था।
SOG ने अब तक 16 लोगों को गिरफ्तार किया है और इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश जारी है।