ये कम्पनी केवल कार बेच सकेगी बनाएगी नही , मस्क का यू-टर्न जानिए पूरी कहानी

By Shiv

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नई दिल्ली 3 जून 2025
भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) का उत्पादन बढ़ावा देने के लिए एक नई पॉलिसी जारी की है और एलन मस्क की कंपनी टेस्ला ने भारत में बनाने से हाथ पीछे कर लिए हैं और केंद्रीय उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने नई गाइडलाइंस जारी करते हुए ये कहा कि यह नीति भारत को 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य तक पहुंचाने और देश को ऑटोमोटिव मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल हब बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।

एलन मस्क कार को दिखाते हुए

जाने नई ईवी नीति की कुछ विशेस बातें

न्यूनतम निवेश कंपनियों को भारत में अगले तीन साल में ₹4150 करोड़ का निवेश करना होगा और
मेक इन इंडिया जरूरी – हर कंपनी को 50% उत्पादन भारत में करना अनिवार्य होगा
इंपोर्ट ड्यूटी में छूट ₹29 लाख (35000 डॉलर) या ज्यादा कीमत वाली ईवी कारों के इंपोर्ट ड्यूटी को 15% तक कम कर किया है और यह छूट सालाना 8000 गाड़ियों तक ही होगी तथा
लैंड वैल्यू सम्मेलित नहीं – कंपनियों द्वारा खरीदी गई जमीन की कीमत निवेश में नहीं  गिनी जाएगी और फिर भी फैक्ट्री मशीनरी और मैन्युफैक्चरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर ही गिने जाएंगे।

भारत में टेस्ला सिर्फ बेच सकेगी बनाएगी नहीं

कुमारस्वामी ने साफ किया है कि  टेस्ला एलन मस्क भारत में कारों कों बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं रखती पर वह यहां शोरूम खोलना चाहती है मस्क अमेरिकी राजनीतिक अस्थिरता के बारे में चिंतित हैं और कहा जा रहा है कि अमेरिका में इसीलिए संभावित परिवर्तन और ट्रंप फिर से चुनाव लड़ने की संभावना को देखते हुए मस्क भारत में निवेश  करने से पीछे हट गए हैं।
डोनाल्ड ट्रंप पहले ही यह कह चुके हैं कि अगर टेस्ला भारत में मैन्युफैक्चरिंग करती भी है तो यह अमेरिकी कंपनियों के लिए अनुचित प्रतिस्पर्धा शाबित होगी।

4 दिग्गज विदेशी कंपनियां आगे आईं

टेस्ला की इस दूरी के उलट कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में ईवी निर्माण में रुचि दिखाई है जिसमें से कुछ प्रमुख हैं ।

मर्सिडीज-बेंज
स्कोडा-फॉक्सवैगन
हुंडई मोटर
किआ मोटर्स
इन कंपनियों ने सरकार की नीति के अनुरूप ही भारत में इतने बड़े स्तर पर निवेश करने की मंशा जाहिर की है और नई ईवी नीति भारत के पर्यावरणीय और औद्योगिक लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में एक मजबूत पहल होगी हालांकि टेस्ला जैसी बड़ी कंपनी का निर्माण से हटना एक झटका है लेकिन अन्य दिग्गज ऑटो ब्रांड्स की रुचि इस बात की ओर इशारा करती है कि भारत जल्द ही ग्लोबल इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग में एक बड़ी ताकत बन सकता है।


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