📰 सुप्रीम कोर्ट का वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर हस्तक्षेप, केंद्र को चेतावनी और राहत के संकेत
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नई दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 – सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार को एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि तब तक किसी भी वक्फ संपत्ति की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इस कदम को कई विशेषज्ञ भारत की “सांस्कृतिक संपत्ति और ऐतिहासिक न्याय” की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव मान रहे हैं।
📌 अदालत का कड़ा रुख: “इतिहास को कानून से नहीं मिटाया जा सकता”
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल थे, ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सरकार पुराने वक्फ की पहचान को कानून द्वारा रद्द नहीं कर सकती। CJI ने कहा —
“सरकार इतिहास को कानून बनाकर दोबारा नहीं लिख सकती।”
यह टिप्पणी केंद्र सरकार के उस प्रावधान पर आई, जिसमें पहले से घोषित वक्फ संपत्तियों को “डिनोटिफाई” करने की अनुमति दी गई थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि चाहे वक्फ ‘यूज़र द्वारा’ हो या ‘डिक्लेरेशन से’, यदि वह संपत्ति पूर्व में अदालत द्वारा वक्फ घोषित हो चुकी है, तो उसमें कोई बदलाव नहीं होगा।
⚖ याचिकाओं की सुनवाई और नई व्यवस्था
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दायर लगभग एक दर्जन याचिकाओं में से पाँच को मुख्य याचिकाएं घोषित किया है। ये सभी अब “In Re: Waqf Amendment Act 2025” शीर्षक के अंतर्गत सुनी जाएंगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि पहले के वक्फ अधिनियम 1995 और 2013 को चुनौती देने वाली याचिकाएं इससे अलग रखी जाएंगी।
अगली सुनवाई की तारीख:
मामले की अगली सुनवाई मई के पहले सप्ताह में होगी, जब तक केंद्र, राज्य और अन्य पक्ष अपना विस्तृत जवाब दाखिल कर लेंगे।
🧾 कौन-कौन हैं याचिकाकर्ता?
इस मामले में याचिका दायर करने वालों की सूची काफी लंबी और प्रभावशाली है:
- AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी
- AAP विधायक अमानतुल्लाह खान
- AIMPLB (ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड)
- जमीयत उलमा-ए-हिंद
- तमिलनाडु के अभिनेता-पॉलिटिशन विजय (तमिलगा वेट्री कझगम)
- कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद
- RJD नेता मनोज झा
- CPI, DMK और अन्य क्षेत्रीय दल
इनमें से कई नेताओं और संस्थाओं का कहना है कि नया वक्फ कानून धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों की संपत्ति पर सीधा हमला है।
📉 विवादास्पद बिंदु: कोर्ट की तीन मुख्य चिंताएं
- वक्फ-बाय-यूज़र: क्या जो संपत्तियाँ लंबे समय से धार्मिक गतिविधियों के लिए उपयोग में रही हैं, वे स्वतः वक्फ बन सकती हैं?
- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम बहुलता: क्या यह अल्पसंख्यक मामलों की स्वायत्तता में हस्तक्षेप है?
- सरकारी ज़मीनों पर दावा: क्या कोई संपत्ति वक्फ हो सकती है, अगर वह सरकारी विवादित ज़मीन मानी जा रही हो?
इन बिंदुओं पर कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाने की इच्छा जताई, लेकिन सरकार को अंतिम मौका देने के लिए फिलहाल उसपर आदेश नहीं दिया।
🏛 निष्कर्ष: धार्मिक आज़ादी बनाम प्रशासनिक नियंत्रण
यह मामला सिर्फ एक संशोधन कानून का नहीं, बल्कि भारत में धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता, संपत्ति के अधिकार, और इतिहास की पुनर्व्याख्या जैसे बड़े मुद्दों से जुड़ा है। आने वाले हफ्तों में सुप्रीम कोर्ट का रुख यह तय करेगा कि क्या वक्फ संपत्तियाँ राजनैतिक एजेंडों का शिकार बनेंगी या भारत की धार्मिक विविधता की पहचान बनी रहेंगी।
2 thoughts on ““वक्फ क़ानून पर सुप्रीम स्टॉप: न ज़मीन बदलेगी, न नीयत!””