मोदी कैबिनेट में मंत्रियों की परफॉर्मेंस और नए चेहरों को मौका

By Shiv

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MODI CABINET

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल को एक साल पूरा हो चुका है और अब बदलाव की बयार तेज हो गई है और संकेत साफ हैं कि बहुत जल्द कैबिनेट में बड़ा फेरबदल होने वाला है और ये बदलाव सिर्फ सीटों की अदला-बदली नहीं होगी बल्कि नए संकेत हैं कि परफॉर्मेंस और जिम्मेदारी और आने वाले चुनावी टारगेट को अब पूरा फोकस रहेगा.

राज्यपालों की नियुक्ति के बाद अब मंत्रियों की बारी

बीते कुछ दिनों में केंद्र सरकार ने हरियाणा, गोवा और लद्दाख में नए राज्यपाल और उपराज्यपाल की नियुक्ति की है और इसके साथ ही चार नए राज्यसभा सांसदों का मनोनयन भी हुआ है और अब भाजपा नेतृत्व की नजर कैबिनेट पर है और इसका मतलब है कि कई चेहरों की कुर्सियां अब खिसक सकती हैं.

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अमित शाह और नड्डा की मुलाकात

मंगलवार को दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की लंबी मीटिंग हुई और बाहर भले ही इसे मानसून सत्र की रणनीति बताया गया हो पर अंदर की खबर कुछ और ही है और सूत्रों का कहना है कि कई ऐसे मंत्री जो एक से अधिक मंत्रालय संभाल रहे हैं और अब उनसे अतिरिक्त भार हटाया जा सकता है.

नए मंत्रियों की हो सकती है एंट्री

प्रधानमंत्री मोदी ने जब पिछली बार नौ जून को शपथ ली थी तब उनकी टीम में कुल 72 मंत्री शामिल थे और पर संवैधानिक सीमा के तहत कुल 81 मंत्री बनाए जा सकते हैं यानी की मतलब अब नौ नए चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं और यह भाजपा के लिए एक मौका है कि वह नई और युवा टीम सामने लाए.

किन राज्यों को मिल सकता है ज्यादा प्रतिनिधित्व

भाजपा का फोकस इस समय बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों पर है जहां या तो चुनाव आने वाले हैं या पार्टी अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहती है पर इन राज्यों के सांसदों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार की जा चुकी हैपर जो नेता जनता से जुड़े रहे हैं और एक्टिव दिखे है तो उन्हें आगे बढ़ाया जा सकता है और जो निष्क्रिय या विवादों में रहे हैं उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है.

बदलाव संसद सत्र से

मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो रहा है और ऐसे में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या फेरबदल सत्र शुरू होने से पहले होगा या बाद में होगा और अगर बदलाव पहले हुआ तो यह साफ संकेत होगा कि सरकार जवाबदेही को प्राथमिकता दे रही है.

युवा चेहरों को प्राथमिकता मिल सकती है

पार्टी सूत्रों की मानें तो इस बार मंत्रिपरिषद में युवाओं को मौका मिलने की पूरी सम्भावना है और ऐसे सांसद जो सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं या जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं और टेक्नोलॉजी को अच्छे से समझते हैं वे आगे लाए जा सकते हैं और भाजपा इस reshuffle को केवल प्रशासनिक बदलाव नहीं बल्कि 2029 तक की तैयारी के रूप में देख रही है.

यह एक साफ संदेश है

मोदी कैबिनेट में होने वाला यह फेरबदल सिर्फ कुर्सियों का बदलाव नहीं है यह एक साफ संदेश है कि जो काम करेगा वही टिकेगा और सरकार अब दिखावे की बजाय परफॉर्मेंस पर चलेगी और जो मंत्री जिम्मेदारी नहीं निभा पाएंगे उन्हें हटाया जा सकता है.

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