बेटियां लखनऊ में शर्मिंदा है आखिर ऐसा क्यों जाने पूरा मामला

By Shiv

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अमादों और लड़कियों पर  बार बार अपराध हो रहे हैं  जिससे पूरे सिस्टम की नींव हिल चुकी है गैंगरेप और मर्डर की घटनाओं के बाद भी कोई कठिन या ठोस कदम नहीं उठाया गया है आलमबाग, सरोजनीनगर, मड़ियांव, बीकेटी और मदेयगंज आदि इलाके अब हैवानों का ठिकाना बनता जा रहा है.

बेटियां लखनऊ में शर्मिंदा है ( प्रतीकात्मक तस्वीर )

आलमबाग की वो रात जिसने इंसानियत को एकदम रुला कर रख दिया

18 मार्च 2025 रात को अयोध्या की एक लडकी ऑटो में आलमबाग बस अड्डे से सवार हुई लेकिन उस ऑटो में बैठना उसकी जिंदगी की आखिरी सवारी साबित हुई क्योकि गैंगरेप करके फिर हत्या कर दी गई और फिर शव को मलिहाबाद में फेंक दिया गया जनता आक्रोशित हुई और पुलिस कुछ दिन सक्रिय भी रहीं फिर अब सब शांत है

ढाई महीने बाद भी आरोपियों को सबक नहीं घटनाएं अब भी जारी

इस घटना के बाद भी न कोई मजबूत योजना बनाई और न ही गश्त प्रणाली मजबूत हुई आलमबाग मेट्रो स्टेशन और अंडरग्राउंड पार्किंग में आज भी नशेड़ी और अराजक तत्व खुलेआम घूमते हैं.

लखनऊ के बाकी इलाकों में भी मासूमों पर कहर

21 मई: बीकेटी में डेढ़ साल की बच्ची से दुष्कर्म किया गया
17 मई: मड़ियांव में 7 साल की बच्ची को चॉकलेट के बहाने हवस का शिकार बनाया
7 फरवरी: सरोजनीनगर में 6 वर्षीय बच्ची से बलात्कार
27 मई: बच्ची को उठा कर मदेयगंज में किया दुष्कर्म
पुलिस ने की हर मामले में देर से प्रतिक्रिया और अधिकांश में कार्रवाई अस्थायी थी

पुलिस का रवैया घटना के बाद ही जागती है

सक्रियता जानबूझकर लंबे समय तक नहीं रहती है बैरिकेडिंग, चेकिंग, मीडिया स्टेटमेंट और कुछ ही दिनों बाद सब ढीला हो जाता है न तो निगरानी बढ़ती है और न सिस्टम में कोई सुधार होता है.

ऐसा क्या करें ताकि ऐसा दोबारा न हो?

हाई-रेजोल्यूशन CCTV सभी बस अड्डों और मेट्रो स्टेशनों पर तैनात किया जाना चाहिए और
रात में नियमित पुलिस गश्त भी जरूरी है
संवेदनशील इलाकों में नग्न आंख वाली मोबाइल हेल्प यूनिट्स और
नशे और अपराधियों पर डिटॉक्स और निगरानी अभियान चलाना शुरू हो
सामुदायिक महिला सुरक्षा निगरानी समूह भी शुरू हो .

ये आवाजें ठोस बदलाव चाहती हैं

हम न्याय और सिस्टम में ठोस बदलाव चाहते हैं यह कहना है समर्थ नारी संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरा वर्षा का उन्होंने ये भी कहा कि बार-बार ऐसी घटनाओं का दोहराव दर्शाता है कि व्यवस्था में सुधार अब बहुत जरूरी है।

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