सी.वी. रमन: भारत के महान वैज्ञानिक और रमन प्रभाव के जनक

By Shiv

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परिचय

डॉ. चंद्रशेखर वेंकटरमन (सी.वी. रमन) भारतीय भौतिकविद् थे, जिन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन (Scattering) पर महान खोज की, जिसे “रमन प्रभाव” (Raman Effect) के रूप में जाना जाता है। इस महत्वपूर्ण खोज के लिए उन्हें 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला। विज्ञान के क्षेत्र में उनका योगदान अमूल्य है और उन्होंने भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक नई दिशा स्थापित की।

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प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

सी.वी. रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली (त्रिची) में हुआ था। उनके पिता चंद्रशेखर अय्यर गणित और भौतिकी के शिक्षक थे, जिनसे उन्होंने प्रारंभिक गणित और विज्ञान की शिक्षा प्राप्त की।

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  • रमन ने मात्र 11 वर्ष की आयु में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी।
  • 1902 में, उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज, मद्रास (अब चेन्नई) में दाखिला लिया और 1904 में भौतिकी में स्नातक (B.Sc) की परीक्षा प्रथम स्थान और स्वर्ण पदक के साथ उत्तीर्ण की।
  • 1907 में उन्होंने भौतिकी में एम.ए. (M.A.) किया और अपनी वैज्ञानिक यात्रा शुरू की।

वैज्ञानिक योगदान और रमन प्रभाव की खोज

सी.वी. रमन का सबसे प्रसिद्ध योगदान “रमन प्रभाव” है, जिसे उन्होंने 28 फरवरी 1928 को खोजा। उनकी इस खोज ने यह सिद्ध किया कि जब प्रकाश किसी पारदर्शी माध्यम (जैसे कांच या तरल पदार्थ) से गुजरता है, तो उसकी तरंग दैर्ध्य में एक विशिष्ट परिवर्तन होता है।

  • रमन प्रभाव: जब प्रकाश किसी अणु से टकराता है, तो वह कुछ ऊर्जा खो सकता है या प्राप्त कर सकता है, जिससे उसकी तरंग दैर्ध्य बदल जाती है।
  • इस खोज से यह समझने में मदद मिली कि प्रकाश और पदार्थ के बीच कैसे क्रिया होती है, जिससे भौतिकी और रसायन विज्ञान में नए आयाम जुड़े।
  • 1930 में, उन्हें इस खोज के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया, जिससे वे पहले भारतीय नोबेल विजेता वैज्ञानिक बने।
  • भारत में 28 फरवरी को “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस” के रूप में मनाया जाता है।

उल्लेखनीय उपलब्धियाँ

  1. रमन अनुसंधान संस्थान: 1948 में उन्होंने बेंगलुरु में “रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट” की स्थापना की।
  2. भारत रत्न: 1954 में भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया।
  3. अन्य पुरस्कार और सम्मान:
    • 1929 में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें “नाइटहुड” की उपाधि दी।
    • भारतीय विज्ञान अकादमी (Indian Academy of Sciences) के संस्थापक बने।
    • 1957 में लेनिन शांति पुरस्कार से सम्मानित।

निजी जीवन और विरासत

डॉ. रमन ने अपनी पूरी जिंदगी विज्ञान को समर्पित कर दी। उनका मानना था कि विज्ञान प्रयोगों पर आधारित होना चाहिए, न कि केवल सिद्धांतों पर। वे भारतीय वैज्ञानिकों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करते थे।

  • 21 नवंबर 1970 को बेंगलुरु में उनका निधन हुआ।
  • उनकी खोजों का उपयोग आज भी चिकित्सा विज्ञान, नैनोटेक्नोलॉजी और अन्य वैज्ञानिक क्षेत्रों में किया जाता है।

सी.वी. रमन न केवल भारत के बल्कि पूरे विश्व के महान वैज्ञानिकों में से एक थे। उनकी खोजों ने विज्ञान की दुनिया को एक नई दिशा दी और भारत को वैश्विक वैज्ञानिक मानचित्र पर स्थापित किया। उनका जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।



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