बच्चों के Cough Syrup में जहर जो अमेरिका में बैन, लेकिन भारत में अब तक क्यों नहीं? 2025

By Sonam Singh

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Cough Syrup

Cough Syrup Deaths भारत में बढ़ती कफ सिरप से बच्चों की मौतों ने चिंता बढ़ा दी है. जानिए कैसे कफ सिरप में मिलने वाला डाई एथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) जानलेवा जहर

मामला बड़ा गंभीर

भारत में इन दिनों Cough Syrup Deaths का मामला बड़ा गंभीर हो चुका है और राजस्थान और मध्य प्रदेश में 14 बच्चों की मौत के बाद सरकारें हरकत में आई हैं अब केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सख्त चेतावनी दी है कि वे दवा निर्माण की प्रक्रिया में संशोधित अनुसूची एम मानदंडों का पालन करें और वरना लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा और अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इतनी मौतों के बाद ही क्यों जागती हैं हमारी एजेंसियां.

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कहानी यहीं खत्म नहीं होती है बता दें की यही सिरप अमेरिका में बैन है पर भारत में अब तक खुलेआम बिक रहा है और कोल्ड्रिफ नाम के कफ सिरप पर यूपी सरकार ने बैन लगा दिया है पर जबकि बाकी राज्यों में इसकी जांच जारी है.

Cough Syrup कैसे बन जाता है ‘जहरीला’

Cough Syrup में सॉल्यूशन के तौर पर डाई एथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकॉल (EG) मिलाया जाता है और यह दोनों कंपाउंड जहरीले होते हैं और शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और रिपोर्ट्स बताती हैं कि केवल 1 से 2 मिलीलीटर एथिलीन ग्लाइकॉल प्रति किलो वजन में घुल जाए, तो इंसान की जान जा सकती है.

इससे उल्टी, बेहोशी, ऐंठन, दिल की धड़कनें तेज होना और किडनी फेल होने तक की नौबत आ सकती है और यही नहीं, 2022 में WHO ने भी खांसी की दवा के कुछ नमूनों में इन जहरीले पदार्थों की मौजूदगी की पुष्टि की थी और उस वक्त हरियाणा की मेडन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा बनाए गए सिरप को गैंबिया में 70 बच्चों की मौत की वजह माना गया था.

डाई एथिलीन ग्लाइकॉल क्या है और इसका इस्तेमाल कहां होता है

Cough Syrup का यह डाई एथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) एक रंगहीन और गंधहीन अल्कोहलिक कंपाउंड है और इसका इस्तेमाल सामान्य तौर पर खाने या दवा में नहीं किया जा सकता क्योंकि यह जहरीला होता है पर यह वही केमिकल है जो कारों के ब्रेक फ्लूइड, पेंट, इंक और प्लास्टिक में इस्तेमाल किया जाता है.

अमेरिका के FDA ने 2007 में ही इसे जहर घोषित कर दिया था और CDC की रिपोर्ट के मुताबिक, DEG का इस्तेमाल हाइड्रोलिक ब्रेक फ्लुइड, पेंट, स्याही, बॉल प्वाइंट पेन और कुछ सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है और यानी की जो चीज गाड़ियों के पार्ट्स में डाली जाती है, वही हमारे बच्चों की दवा में मिल रही है.

दवा कंपनियां ऐसा क्यों करती हैं

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब ये पदार्थ इतने खतरनाक हैं, तो फिर दवा कंपनियां इन्हें मिलाती क्यों हैं. इसका सीधा जवाब है – पैसा बचाना क्योकी Cough Syrup में असली सॉल्वेंट्स जैसे ग्लिसरीन और प्रोपलीन ग्लाइकॉल काफी महंगे होते हैं और इनकी जगह सस्ते DEG या EG का इस्तेमाल करने से कंपनियों की लागत घट जाती है और मुनाफा बढ़ जाता है.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, यही कारण है कि कई छोटी कंपनियां नियमों की अनदेखी कर देती हैं और जहरीले तत्वों को सॉल्वेंट के रूप में मिला देती हैं पर इस ‘सस्ता सौदा’ का खामियाजा बच्चों की जान से चुकाना पड़ता है.

भारत में Cough Syrup इंडस्ट्री का आकार

Cough Syrup इंडस्ट्री भारत में करीब 42 बिलियन डॉलर की है और इतनी बड़ी इंडस्ट्री में निगरानी और क्वालिटी कंट्रोल का जिम्मा केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के पास है पर मगर सच्चाई तो यह है कि जब तक कोई हादसा नहीं होता, तब तक जांच एजेंसियां सोई रहती हैं.

2023 में CDSCO ने पहली बार अपनी रिपोर्ट में DEG और EG कंटामिनेशन को गंभीर खतरा बताया था और तब भी देशभर में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला था पर नॉरिस मेडिसिन कंपनी के सिरप से गैंबिया, उज़्बेकिस्तान और कैमरून जैसे देशों में 141 बच्चों की मौत हो चुकी थी.

बच्चों के लिए कितना खतरनाक है Cough Syrup का यह ज़हर

अमेरिकी CDC की रिपोर्ट के मुताबिक,Cough Syrup में मिले DEG और EG बच्चों के लिए बेहद घातक हैं. इनके सेवन से 24 घंटे के भीतर किडनी फेल होने का खतरा रहता है और अगर इलाज समय पर न मिले तो 2 से 7 दिनों में मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर हो सकता है.

और इसके अलावा इससे मितली, उल्टी, चक्कर आना, सांस लेने में दिक्कत और बेहोशी जैसी समस्याएं भी होती हैं और गंभीर मामलों में मरीज कोमा में जा सकता है और मस्तिष्क को स्थायी नुकसान हो सकता है.

अमेरिका में बैन, पर भारत में क्यों नहीं

अमेरिका, बांग्लादेश, पनामा और नाइजीरिया जैसे देशों ने DEG और EG युक्त दवाओं को पूरी तरह बैन कर दिया है पर भारत में अब तक इसका कोई सख्त नियम लागू नहीं हुआ है और सरकार की कार्रवाई तब होती है जब मौतें हो चुकी होती हैं.

इस लापरवाही के चलते हर साल सैकड़ों बच्चे अपनी जान गंवा रहे हैं पर अब जबकि केंद्र सरकार ने चेतावनी जारी की है और कई राज्यों में जांच शुरू हो गई है तो उम्मीद की जा सकती है कि आगे इस पर सख्त कदम उठाए जाएंगे.

अब आगे होना चाहिए

अगर सरकार वाकई Cough Syrup Deaths को रोकना चाहती है तो सबसे पहले फार्मा कंपनियों की उत्पादन प्रक्रिया पर रियल-टाइम निगरानी होनी चाहिए और DEG और EG जैसे जहरीले तत्वों की जांच हर बैच में की जानी चाहिए और इसके अलावा, फूड और ड्रग लैब्स को भी हाई-टेक उपकरणों से लैस करना जरूरी है.

सख्त नियम, समय पर कार्रवाई और पारदर्शिता ही इन मौतों को रोक सकती है और जब तक यह नहीं होता है तब तक बच्चों की जिंदगी सस्ती और दवाएं ‘जहरीली’ बनी रहेंगी.

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