बीएड के लिए बडी खबर सीटें घटीं और आवेदन में बंपर उछाल

By Shiv

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उत्तर प्रदेश में बीएड कोर्स की डिमांड फिर से तेजी से बढ़ गई है क्योकि दो साल की सुस्ती और खाली पड़ी सीटों के बाद इस बार B.Ed कॉलेजों में नए उत्साह की लहर है और खास बात यह कि सीटों में लगभग 56 हजार की कटौती के बावजूद तीन लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन कर दिया है और यह बढ़ती रुचि पीजीटी (प्रवक्ता) पदों में बीएड की अनिवार्यता और नई शिक्षक भर्ती नीति की वजह से देखी जा रही है

सीटें घटीं, पर छात्रों की रुचि में जबरदस्त उछाल

पिछले वर्षों में बीएड कॉलेजों को भारी नुकसान हुआ और आधे से ज्यादा सीटें खाली हो गई, जिससे कॉलेजों को स्टाफ की सैलरी तक देने में परेशानी होने लगी थी लेकिन इस वर्ष जैसे ही आवेदन शुरू हुए, तो अन्तिम दिनों में आंकड़ा तीन लाख का पार हो गया जबकि पिछले वर्ष यह संख्या दो लाख तक भी नहीं पहुंची थी.

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बीएड
बीएड को लेकर खुशी में लडकियां

क्यों बढ़ी बीएड की मांग

अब टीजीटी के साथ पीजीटी पदों पर भी बीएड अनिवार्य कर दिया गया है पहले जहां परास्नातक से ही इंटर कॉलेज में सीधी भर्ती होती थी, अब उसमें भी बीएड आवश्यक हो गया है उसी कारण से M.A./M.Sc. आदि ऐसे छात्रों ने भी अब बीएड की ओर रूख करने का फैसला किया है.

कॉलेज संचालकों की जागीं उम्मीदें

बीते दो सालों में जहां कॉलेज संचालकों को छात्रों के लिए फीस कम करनी पड़ी, वहीं अब उम्मीद है कि सीटें भरने से आर्थिक स्थिति सुधरेगी और 51,500 रुपये (पहला वर्ष) और 30,000 रुपये (दूसरा वर्ष) की निर्धारित फीस की बजाय छात्रों से 20-40 हजार की फीस ली जा रही थी.

मान्यता पर मंडरा रहा खतरा

NCET ने इस वर्ष 560 कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है। बाकी कई कॉलेजों पर तलवार लटक रही है। अगर आगे और मान्यताएं रद्द होती हैं तो काउंसलिंग व दाखिले की प्रक्रिया में भारी अड़चन आ सकती है।

छात्रों की प्राथमिकता बना B.Ed

जहां पहले छात्र बीएड को बैकअप विकल्प मानते थे, अब यह प्राथमिक विकल्प बन गया है क्योकि नई नीति में सिर्फ डिग्री नहीं, बल्कि प्रशिक्षित शिक्षक की जरूरत है इससे शिक्षक बनने का सपना देखने वालों को प्रशिक्षण की ओर रुझान और तेजी से बढ़ा है.

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