जैसे ही सावन का तीसरा सोमवार पास आता है तभी आगरा के कैलाश गांव में एक अलग ही माहौल बन जाता है जहाँ शिवभक्तों का उत्साह व कांवड़ियों की कतारें और मंदिर की घंटियों की गूंज हर तरफ दिखती है और इस बार का कैलाश मेला कुछ खास होने वाला है क्योंकि इसकी शुरुआत करेंगे मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर.
मेले की तैयारियां पूरी सिकंदरा से मंदिर तक साफ-सुथरा रास्ता
मेला समिति ने दावा किया है कि इस बार श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने दी जाएगी और सिकंदरा से कैलाश मंदिर तक की सड़क पूरी तरह बनकर तैयार है पर हालांकि बाईंपुर की तरफ से आने वाली सड़क का काम अब भी जारी है और मेला क्षेत्र में दुकानें सज चुकी हैं और सिकंदरा थाने के पास झूलों का भी इंतजाम हो चुका है और शनिवार को मंदिर में भव्य फूल बंगला सजाया जाएगा साथ ही भगवान शिव को छप्पन भोग अर्पित किया जाएगा और अगले दिन यानी रविवार को शाम चार बजे नरेंद्र सिंह तोमर व बृजेश तिवारी और पीके गुप्ता मिलकर मेले का उद्घाटन करेंगे और इसके बाद ही जलाभिषेक और रुद्राभिषेक शुरू हो जाएंगे जो पूरी रात चलेगा.
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सोमवार सुबह से शुरू होगी कांवड़ चढ़ाने की परंपरा
सोमवार सुबह 3 बजे मंगला आरती के बाद पहली कांवड़ का जल भगवान शिव पर चढ़ाया जाएगा और इसके साथ ही मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे पर इस बार करीब 2000 से भी ज्यादा कांवड़ चढ़ने की संभावना है और महिला, पुरुष और कांवड़ियों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार बनाए गए हैं जिससे कोई अफरा-तफरी न हो साथ ही वता दे की मेला व्यवस्था को संभालने के लिए महंत गजाधर गिरि परिवार ट्रस्ट ने 50 स्वयंसेवकों को ड्यूटी पर लगाया है और 3 अलग-अलग प्रवेश द्वार और दो निकास द्वार श्रद्धालुओं की भीड़ को मैनेज करने में मदद करेंगे.
त्रेता युग से जुड़ा है कैलाश महादेव मंदिर का इतिहास
यह मंदिर सिर्फ आस्था का केंद्र नहीं है बल्कि इतिहास का भी हिस्सा है और मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि कैलाश पर्वत से दो शिवलिंग लेकर रेणुकाधाम आश्रम जा रहे थे और रास्ते में जब वे कैलाश गांव में रुके तो दोनों शिवलिंग खुद-ब-खुद जमीन में धंस गए और यहीं स्थापित हो गए और आज भी मंदिर में ये दोनों शिवलिंग विराजमान हैं.