Om Prakash Rajbhar की हुई RSS वर्दी वाली फौज क्यों बनी सुर्खी 2025

By Vipin Singh

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Om Prakash Rajbhar

Om Prakash Rajbhar RSS के नाम पर तैयार हुई नई ‘राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना’ यूपी की राजनीति में हलचल पैदा कर रही है। ओपी राजभर के इस कदम के पीछे मकसद

Om Prakash Rajbhar RSS: यूपी की सियासत में नीली वर्दी का नया चेहरा

Om Prakash Rajbhar RSS चर्चा में आते ही सियासी हलकों में गहमागहमी तेज हो गई है। वजह साफ है, ओम प्रकाश राजभर ने राष्ट्रीय सुहेलदेव सेना यानी RSS नाम से अपनी नई टुकड़ी मैदान में उतार दी है। नाम दिखने में भले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसा लगे, लेकिन दोनों में कोई संबंध नहीं है। यहां बात राजभर की उस रणनीति की है जिसमें वह युवाओं को वर्दी, रैंक और ट्रेनिंग देकर एक अनुशासित टीम खड़ी करने की बात कर रहे हैं।

नीली वर्दी, बैरेट कैप और कंधों पर सितारे देखते ही लोगों को यह सेना कुछ अलग और संगठित दिखाई देती है। यही वजह है कि Om Prakash Rajbhar RSS फिलहाल राजनीतिक चर्चा का बड़ा मुद्दा बनी हुई है।

सेना की वर्दी, रैंक और पूरा ढांचा

Om Prakash Rajbhar RSS की खास बात यह है कि यह सिर्फ नाम की सेना नहीं है। यहां हर सदस्य को नीली वर्दी दी गई है, कंधों पर सितारे लगाए जा रहे हैं और छाती पर बैज भी दिया जा रहा है। बैरेट कैप पहनकर यह युवा एक अनुशासित दस्ते की तरह नज़र आते हैं। राजभर का कहना है कि यह सेना पार्टी कार्यकर्ताओं का अपग्रेडेड वर्ज़न है, जो पहले पीली टी-शर्ट और गमछा लेकर चलते थे। अ

ब उन्हें एक आधिकारिक पहचान दी जा रही है। इस सेना में कमांडर, सीओ, डीएसपी, एसआई और इंस्पेक्टर जैसे पदनाम भी शामिल हैं। इससे संगठन के भीतर एक व्यवस्थित कमांड चेन बनती है और हर सदस्य अपनी जिम्मेदारी समझ पाता है।

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उद्देश्य क्या है और युवाओं को इसमें क्या मिलेगा

Om Prakash Rajbhar RSS का असली मकसद युवाओं को क्षमता-निर्माण और कौशल विकास की तरफ ले जाना बताया जा रहा है। राजभर का कहना है कि गांवों के कई युवा 18 से 25 साल की उम्र में इस उलझन में रहते हैं कि आगे क्या करना है। दिशा के अभाव में वे गुमराह हो जाते हैं या गलत रास्तों पर भटक जाते हैं। इस सेना के जरिए उन्हें ट्रेनिंग, अनुशासन और टीमवर्क का अनुभव दिया जाएगा। साथ ही, पार्टी की विचारधारा और सामाजिक कार्यों में भागीदारी भी बढ़ेगी।

राजभर का दावा है कि सेना युवाओं को रोजगार के मार्ग और स्किल डेवलपमेंट की ओर भी प्रेरित करेगी। इसलिए Om Prakash Rajbhar RSS को वह सिर्फ राजनीतिक कदम नहीं बल्कि सामाजिक पहल बता रहे हैं।

22 जिलों से शुरुआत, आगे पूरे प्रदेश में विस्तार

Om Prakash Rajbhar RSS की शुरुआत फिलहाल 22 जिलों में की गई है। पार्टी का लक्ष्य है कि आने वाले महीनों में यह सेना पूरे यूपी में सक्रिय दिखाई दे। राजभर ने साफ कहा है कि इसमें एक लाख युवाओं को शामिल करने की योजना पर काम चल रहा है। हर जिले में कोऑर्डिनेटर और ट्रेनर नियुक्त किए जा रहे हैं ताकि संगठन तेजी से फैल सके। यह विस्तार 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले सुभासपा के लिए एक मजबूत जमीन तैयार कर सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम राजभर की कोर वोट बैंक को सीधे प्रभावित कर सकता है और जातिगत राजनीति के समीकरणों में हलचल ला सकता है।

विपक्ष की नजर में यह राजनीतिक चाल, राजभर के अनुसार सामाजिक मिशन

Om Prakash Rajbhar RSS जिस तेजी से चर्चा में आई है, उसने विपक्ष को चौंका दिया है। कई पार्टियां इसे 2027 के चुनाव से पहले राजभर की राजनीतिक रणनीति मान रही हैं। विपक्ष का तर्क है कि वर्दी, रैंक और सेना जैसे शब्दों का इस्तेमाल सिर्फ राजनीतिक प्रभाव बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। हालांकि, राजभर का दावा बिल्कुल अलग है। वह कहते हैं कि यह सेना युवाओं को दिशा देने, समाज में जागरूकता बढ़ाने और कौशल विकास के लिए बनाई गई है। उनके अनुसार यह संगठन किसी भी तरह की राजनीतिक लड़ाई नहीं लड़ता, बल्कि सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेगा। इस विरोधाभास ने Om Prakash Rajbhar RSS को और भी चर्चा में ला दिया है।

भाजपा सरकार में रहते हुए सेना बनाने का संकेत क्या है

सबसे दिलचस्प बात यह है कि Om Prakash Rajbhar RSS का गठन उस समय हुआ है जब वे यूपी सरकार में मंत्री हैं और भाजपा के सहयोगी दल में शामिल हैं। ऐसे में लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि नीली वर्दी वाली यह सेना आने वाले चुनावों में किस भूमिका में होगी। क्या यह सुभासपा की ताकत बढ़ाने का प्रयास है या किसी बड़े गठबंधन के लिए जमीन तैयार की जा रही है। राजभर अक्सर अपनी साफ-सुथरी और बेबाक राजनीति के लिए जाने जाते हैं, इसलिए उनके हर कदम को राजनीतिक रूप से पढ़ा जाता है। यही वजह है कि Om Prakash Rajbhar RSS आने वाले कई महीनों तक सियासी चर्चाओं में छाई रह सकती है।

आगे क्या हो सकता है

Om Prakash Rajbhar RSS का स्ट्रक्चर अभी शुरुआती दौर में है और इसके अगले कदम पर सबकी नजरें टिकी हैं। अगर यह सेना युवाओं को ट्रेनिंग देती है, रोजगार के रास्ते दिखाती है और संगठन को मजबूत करती है, तो सुभासपा को बड़ा फायदा हो सकता है। लेकिन अगर इसे सिर्फ राजनीतिक स्टंट के तौर पर देखा गया, तो इसका असर सीमित रह जाएगा। फिलहाल इतना तय है कि यूपी की राजनीति में इस नई सेना की चर्चा जारी रहेगी और इसके जरिए ओम प्रकाश राजभर ने खुद को फिर सुर्खियों के बीच खड़ा कर दिया है।

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