News On Bharat 2025 कालिदास महाराज और प्रेमानंद महाराज की भेंट में आध्यात्मिक ऊर्जा, गहन श्रद्धा और सादगी का अद्भुत संगम देखने को मिला.
कालिदास महाराज और प्रेमानंद महाराज की भेंट का भावपूर्ण आरंभ
News On Bharat: कालिदास महाराज और प्रेमानंद महाराज की भेंट जब कुंज आश्रम में हुई, तो वहां मौजूद हर व्यक्ति ने वातावरण में एक अलग ही आध्यात्मिक कंपन महसूस किया. कई किलो रुद्राक्ष धारण किए तपस्वी महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 कालिदास कृष्णानंद परमहंस आश्रम पहुंचे, तो लोगों की नजरें खुद-ब-खुद उनकी ओर खिंच गईं. यह मुलाकात सिर्फ एक साधारण दर्शन नहीं थी, बल्कि भावनाओं का सच्चा समागम था, जहां संत परंपरा की असली छवि दिखाई दे रही थी.
दंडवत प्रणाम का दृश्य जिसने सबको भावुक किया
News On Bharat: जैसे ही प्रेमानंद महाराज सामने आए, कालिदास महाराज सीधे जमीन पर लेटकर दंडवत प्रणाम कर दिए. यह क्षण इतना गहरा और भावनात्मक था कि वहां मौजूद कई शिष्य भी श्रद्धा में खो गए. और प्रेमानंद महाराज ने भी उसी प्रेम और नम्रता के साथ दंडवत होकर उनका अभिवादन किया और फिर बड़े स्नेह से गले लगा लिया.
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जमीन पर बैठकर व्यक्त की गई विनम्रता
News On Bharat: भेंट के दौरान कालिदास महाराज को कुर्सी की व्यवस्था दी गई थी, लेकिन उन्होंने मुस्कुराते हुए जमीन पर बैठना चुना. उनका कहना था कि जहां प्रेमानंद महाराज के चरण पड़ते हैं, वहां जमीन भी पवित्र हो जाती है. और यह विनम्रता सिर्फ शब्दों में नहीं बल्कि उनके आचरण में दिखाई दी. कालिदास महाराज और प्रेमानंद महाराज की भेंट कई मायनों में संत परंपरा की असली विनम्रता को दिखाती है.
पवित्र प्रसाद सामग्री के रूप में श्रद्धा का उपहार
News On Bharat: कालिदास महाराज अपने साथ कई पवित्र वस्तुएं लेकर आए थे. इनमें शालिग्राम, श्री केदारनाथ धाम का प्रसाद और जल, मां कामाख्या देवी का अंग वस्त्र और अन्य पवित्र सामग्री शामिल थी. और यह सिर्फ उपहार नहीं थे, बल्कि गुरु परंपरा की गहराई और प्रेम का प्रतीक थे. कालिदास महाराज और प्रेमानंद महाराज की भेंट को यह प्रसाद सामग्री एक अनोखी आध्यात्मिक ऊंचाई दे गई.
‘अवतार’ और ‘युग पुरुष’ कहकर किया आदर
News On Bharat: श्रद्धा के क्षण में कालिदास महाराज ने प्रेमानंद महाराज को अवतार और युग पुरुष कहकर संबोधित किया. उन्होंने स्पष्ट कहा कि वे केवल दर्शन के लिए इतने दूर आए हैं और प्रेमानंद महाराज उनके लिए प्रेरणा हैं. और यह शब्द किसी औपचारिकता का हिस्सा नहीं थे, बल्कि हृदय की गहराई से निकली भावनाएं थीं. कालिदास महाराज और प्रेमानंद महाराज की भेंट में इस तरह की भावुकता बहुत कम देखने को मिलती है, यही वजह है कि यह मुलाकात चर्चा में रही.
विनम्रता में छिपा प्रेमानंद महाराज का उत्तर
News On Bharat: जब इतनी प्रशंसा प्रेमानंद महाराज के सामने रखी गई, तो उन्होंने बहुत ही सरल और विनम्र शब्दों में इसका उत्तर दिया. उन्होंने कहा कि उनका जीवन तो कुम्हार की मिट्टी जैसा है, संत लोग जैसे गढ़ दें, वही रूप बन जाता है. और उन्होंने माना कि व्यक्ति साधारण हो सकता है, लेकिन संत कृपा मिल जाए तो वही साधारण व्यक्ति भी बड़ा बन सकता है.
नवल नागरी महाराज के अनुसार संबंध सिर्फ आदर का नहीं, अपनत्व का है
News On Bharat: मुलाकात के दौरान मौजूद नवल नागरी महाराज ने कहा कि कालिदास महाराज, प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य के बारे में सुनते ही तुरंत फोन लगाकर हालचाल पूछते हैं. यह रिश्ता सिर्फ आध्यात्मिक आदर का नहीं बल्कि बेहद गहरे अपनत्व का है. और कालिदास महाराज और प्रेमानंद महाराज की भेंट ने संत समाज में प्रेम और सच्ची चिंता की एक अनोखी मिसाल पेश की.
संत परंपरा की विनम्रता को जीवित रखती यह भेंट
News On Bharat: इस पूरे समागम का सबसे बड़ा संदेश यही रहा कि आध्यात्मिकता का आधार ज्ञान या प्रसिद्धि नहीं बल्कि विनम्रता, प्रेम और श्रद्धा है. और कालिदास महाराज और प्रेमानंद महाराज की भेंट ने यह साबित किया कि संत परंपरा आज भी अपनी जड़ों से जुड़ी हुई है. इस मुलाकात ने आश्रम में मौजूद हर व्यक्ति के मन में एक अलग ही शांति और संतोष भर दिया.






