लखनऊ में JPNIC के बाहर बढ़ी सुरक्षा, अखिलेश यादव के पहुंचने की आशंका से पुलिस अलर्ट 2025

By Vipin Singh

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Lucknow JPNIC Security: लखनऊ के जयप्रकाश इंटरनेशनल सेंटर के बाहर अखिलेश यादव के आने की आशंका के चलते भारी पुलिसबल तैनात किया गया है.

जयप्रकाश इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC)

लखनऊ में शुक्रवार की रात जैसे ही गोमती नगर स्थित जयप्रकाश इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC) के बाहर पुलिसबल तैनात हुआ, पूरे इलाके में हलचल मच गई. बताया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आज यहां पहुंच सकते हैं और इसी संभावना को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने चौकसी बढ़ा दी है.

JPNIC के बाहर अचानक सुरक्षा बढ़ी

जयप्रकाश नारायण की जयंती से ठीक एक दिन पहले JPNIC Lucknow Security को लेकर पुलिस पूरी तरह अलर्ट मोड में है और मेन गेट के बाहर बैरियर लगाए गए हैं, और टीन की चादरों से रास्ते को घेर दिया गया है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके. देर रात तक पुलिसकर्मी मुख्य द्वार और आसपास के इलाकों में तैनात रहे.

और JPNIC के बारें में पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह सब कदम एहतियात के तौर पर उठाए गए हैं. पिछले साल जिस तरह अखिलेश यादव के पहुंचने पर हंगामा हुआ था, इस बार वैसी स्थिति दोबारा न बने, इसके लिए पहले से सुरक्षा बढ़ाई गई है.

पिछले साल हुआ था बड़ा हंगामा

अगर आपको याद हो, तो पिछले साल भी JPNIC जयप्रकाश नारायण जयंती से एक दिन पहले अखिलेश यादव जेपीएनआईसी पहुंचे थे पर उन्हें अंदर जाने से रोक दिया गया था, जिसके बाद मौके पर खूब बहस और हंगामा हुआ था और अखिलेश ने सोशल मीडिया पर योगी सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा था कि सरकार लोकतांत्रिक विचारों को दबा रही है.

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इसी वजह से इस बार प्रशासन पहले से ही पूरी तरह तैयार है. गेट को टीन की शीट से बंद कर दिया गया है और चारों तरफ पुलिसकर्मी तैनात हैं और सुरक्षा घेरा इतना मजबूत किया गया है कि किसी भी तरह की अप्रत्याशित हलचल से पहले ही निपटा जा सके.

आठ फुट ऊंची दीवार कूद चुके हैं अखिलेश यादव

अखिलेश यादव और JPNIC Lucknow Security का मामला नया नहीं है पर करीब दो साल पहले जब उन्हें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई थी, तब वे आठ फीट ऊंचे गेट को फांदकर अंदर पहुंच गए थे और उन्होंने जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माला चढ़ाई और श्रद्धांजलि दी थी.

उस घटना के बाद से ही इस सेंटर की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन बेहद सख्त हो गया है पर हर साल जयंती के समय यहां अतिरिक्त पुलिसबल लगाया जाता है ताकि राजनीतिक विवाद से बचा जा सके.

अखिलेश के आरोपों से गरमाई सियासत

अखिलेश यादव कई बार आरोप लगा चुके हैं कि जेपीएनआईसी लखनऊ को लेकर योगी सरकार पारदर्शी नहीं है और उनका कहना है कि यह सेंटर सपा सरकार की देन है, लेकिन बीजेपी शासन में इसका काम रुक गया और अखिलेश ने यह भी सवाल उठाया था कि कहीं ऐसा तो नहीं कि सरकार इसे बेचने या किसी निजी हाथों में देने की तैयारी कर रही है.

उनका आरोप है कि जेपीएनआईसी के बाहर टीन शेड लगाकर कुछ न कुछ छिपाने की कोशिश की जा रही है पर अखिलेश ने कहा था कि सरकार को साफ बताना चाहिए कि इस सेंटर का भविष्य क्या है और यहां काम क्यों बंद पड़ा है.

जेपीएनआईसी का इतिहास और विवाद

जेपीएनआईसी यानी जयप्रकाश इंटरनेशनल सेंटर का निर्माण समाजवादी पार्टी की सरकार में शुरू हुआ था और इसका मकसद था कि लखनऊ में एक ऐसा सांस्कृतिक और वैचारिक केंद्र बने, जहां लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित कार्यक्रम हो सकें पर 2017 में बीजेपी सरकार बनने के बाद से निर्माण कार्य ठप हो गया.

तब से लेकर अब तक यह सेंटर सियासी विवादों में घिरा रहा है पर सपा इसे अपनी उपलब्धि मानती है जबकि बीजेपी इसे अधूरा और बेकार प्रोजेक्ट बताती रही है.

प्रशासन ने दी सफाई

इस बार जब सुरक्षा को लेकर सवाल उठे, तो लखनऊ पुलिस ने कहा कि यह सब कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया गया है और अधिकारियों के मुताबिक, किसी भी राजनीतिक दल को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं है. बस यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि जयंती समारोह के दौरान कोई भी अव्यवस्था या टकराव न हो.

जनता में चर्चा तेज

इस पूरी हलचल के बीच लखनऊ के लोगों में चर्चा जोरों पर है. कुछ लोग कह रहे हैं कि अखिलेश यादव अगर पहुंचते हैं तो माहौल फिर गर्म हो सकता है, वहीं कुछ का मानना है कि प्रशासन इस बार पहले से ज्यादा सतर्क है, इसलिए कोई गड़बड़ी नहीं होगी और

जेपीएनआईसी के आसपास स्थानीय लोग बता रहे हैं कि शुक्रवार देर रात से ही पुलिस की गाड़ियां इलाके में घूम रही हैं पर कई जगहों पर बैरिकेडिंग की गई है और अंदर जाने वालों की जांच भी की जा रही है.

माहौल बेहद संवेदनशील

साफ है कि जयप्रकाश नारायण जयंती से पहले JPNIC Lucknow Security को लेकर माहौल बेहद संवेदनशील हो गया है. अखिलेश यादव के आने की आशंका ने प्रशासन को अलर्ट पर डाल दिया है और पिछले वर्षों के विवादों को देखते हुए इस बार सरकार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती.

अब देखना यह होगा कि अखिलेश यादव इस बार जेपीएनआईसी पहुंचते हैं या नहीं, और अगर पहुंचे तो क्या माहौल शांत रहता है या फिर एक बार फिर सियासत गरमाती है.

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