आगरा एक्सप्रेसवे रेस्टोरेंट सील मामले ने बड़ा मोड़ ले लिया है और किसानों ने मोर्चा खोल दिया और अखिलेश यादव खुद मौके पर पहुंचे. जानिए पूरा विवाद
एलडीए की बड़ी कार्रवाई और विवाद की शुरुआत
लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे पर पारा इलाके में बने एक ढाबे को लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने अचानक सील कर दिया है और रेस्टोरेंट का नाम “सुरभि ढाबा” बताया जा रहा है और इस ढाबे को लेकर आरोप है कि यह बिना मानचित्र पास कराए सर्विस रोड पर चल रहा था और एलडीए का कहना है कि यह कार्रवाई पूरी तरह कोर्ट के आदेशों के तहत की गई है और रेस्टोरेंट मालिक को पहले नोटिस भी दिया गया था पर दूसरी तरफ किसानों और ढाबा मालिक का कहना है कि बिना किसी नोटिस के एकतरफा कार्रवाई की गई.
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किसानों का गुस्सा और सड़क पर उतरा विरोध
रेस्टोरेंट सील होने के बाद किसानों ने इसे मनमानी बताया और तुरंत धरना शुरू कर दिया इतने में भारतीय किसान यूनियन (डेमोक्रेटिक) के नेताओं ने मोर्चा संभालते हुए कहा कि यह कदम पूरी तरह तानाशाही है और किसानों का आरोप है कि आगरा एक्सप्रेसवे रेस्टोरेंट सील की कार्रवाई बिना सुनवाई और बिना पूर्व जानकारी के की गई और इस दौरान बड़ी संख्या में किसान और स्थानीय लोग भी एकजुट होकर सरकार और एलडीए अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी करने लगे.
अखिलेश यादव की एंट्री से बढ़ा सियासी रंग
धरना चल ही रहा था कि तभी वहां से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का काफिला गुजरा फिर किसानों ने तुरंत उनका रास्ता रोका और अपनी समस्या बताई फिर अखिलेश यादव सीधे धरना स्थल पर पहुंच गए और किसानों की बात सुनी फिर उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि यह कार्रवाई सिर्फ दबाव में की गई है.
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अखिलेश यादव ने कहा कि जब उनके कार्यकाल में आगरा एक्सप्रेसवे बना था तब किसानों को सर्किल रेट से चार गुना मुआवजा दिया गया था. और उन्होंने तंज कसा कि सरकार रोजगार देने के बजाय छीनने का काम कर रही है और अखिलेश यादव ने वादा किया कि किसानों और ढाबा मालिक को हर संभव सहयोग मिलेगा और इस मुद्दे को बड़े स्तर पर उठाया जाएगा.
किसान नेताओं की मौजूदगी और मजबूत मोर्चा
इस विरोध में भारतीय किसान यूनियन (डेमोक्रेटिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश सिंह चौहान व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजाराम लोधी, प्रदेश युवा अध्यक्ष राकेश अवस्थी, जिलाध्यक्ष अतुल कुमार और ढाबा मालिक रीशु यादव भी मौजूद रहे और सभी नेताओं ने मिलकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला और साफ कहा कि अगर आगरा एक्सप्रेसवे रेस्टोरेंट सील का फैसला वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन और बड़ा होगा.
एलडीए की सफाई और कानूनी पहलू
इसी बीच लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने किसानों और ढाबा मालिक के आरोपों को खारिज कर दिया और उन्होंने कहा कि 12 अगस्त को ढाबा मालिक को नोटिस हाथों-हाथ और डाक से भेजा गया था और इसके बाद भी नियमों का पालन नहीं किया गया, इसलिए कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई करनी पड़ी. उन्होंने यह भी बताया कि रेस्टोरेंट आगरा एक्सप्रेसवे की सर्विस रोड पर बिना मंजूरी के चल रहा था और जिससे ट्रैफिक और सुरक्षा की दिक्कतें भी बढ़ रही थीं.
मामले में नई राजनीति और जनता की नाराज़गी
इस पूरे विवाद में जहां एक तरफ किसानों और ढाबा मालिक का कहना है कि यह कार्रवाई अचानक और बिना सूचना के हुई है और वहीं एलडीए इसे पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया मान रहा है और पर अखिलेश यादव की एंट्री ने इस आगरा एक्सप्रेसवे रेस्टोरेंट सील केस को अब पूरी तरह राजनीतिक रंग दे दिया है और किसानों को सपा का सीधा समर्थन मिल गया है जिससे सरकार और विपक्ष के बीच टकराव और बढ़ना तय है.
जनता के बीच चर्चा और भविष्य का सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि रेस्टोरेंट या ढाबे अचानक सील कर देना रोजगार छीनने जैसा है और बहुत से लोग इस ढाबे पर काम करके अपना परिवार चला रहे थे तभी अब सवाल यह है कि अगर यह वाकई अवैध था तो इतने लंबे समय तक इसे चलने क्यों दिया गया और अचानक कार्रवाई क्यों हुई और जनता मानती है कि आगरा एक्सप्रेसवे रेस्टोरेंट सील केस अब सिर्फ एक ढाबे का मामला नहीं रह गया है और बल्कि यह किसानों व स्थानीय रोज़गार और सरकारी नीतियों का बड़ा मुद्दा बन गया है.
आगरा एक्सप्रेसवे पर रेस्टोरेंट सील करने की
आगरा एक्सप्रेसवे पर रेस्टोरेंट सील करने की कार्रवाई ने कानून, किसान और राजनीति तीनों को आमने-सामने खड़ा कर दिया है और जहां एलडीए नियमों और कोर्ट का हवाला दे रहा है वहीं किसान इसे अन्याय बता रहे हैं और अखिलेश यादव की मौजूदगी ने इस आग को और भड़का दिया है. आने वाले दिनों में यह मामला सिर्फ एक ढाबे से कहीं आगे बढ़ सकता है और सियासी तूफान खड़ा कर सकता है.