डॉक्टर की कोट नहीं, किरदार देखिए आज है Doctors Day 2025

By Shiv

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डॉक्टर

किसी ने पूछा – सबसे बड़ा योद्धा कौन? जवाब आया – जो हर रोज किसी की जिंदगी के लिए लड़ता है, वो डॉक्टर. आज 1 जुलाई 2025 है – Doctors Day, वो दिन जब हम उन लोगों को याद करते हैं जिनकी वजह से हम जिंदा हैं, चल रहे हैं, और खुलकर सांस ले पा रहे हैं पर क्या ये सिर्फ एक तारीख है? या ये वो आइना है जिसमें हमें एक डॉक्टर की असली तस्वीर दिखाई देती है?

इस दिन की शुरुआत कहां से हुई?

Doctors Day सिर्फ भारत में ही नहीं, दुनियाभर में अलग-अलग तारीखों पर मनाया जाता है पर भारत में 1 July को मनाने की वजह है डॉ. बिधान चंद्र रॉय (Dr. B. C. Roy) – वो शख्स जो एक साथ प्रसिद्ध फिजीशियन, स्वतंत्रता सेनानी, और मुख्यमंत्री भी रहे उनकी जयंती और पुण्यतिथि एक ही दिन पड़ती है – और इसी को देश ने Doctor’s Day बना दिया.

सिर्फ जाँच करने वाला नहीं, भरोसा देने वाला होता है डॉक्टर

एक prescription सिर्फ दवा नहीं होती वो एक उम्मीद होती है जब कोई मरीज कहता है, कि डॉक्टर साहब आप देख लीजिए तो वो सिर्फ इलाज नहीं अपनी पूरी जान उनके भरोसे छोड़ देता है और डॉक्टर के बिना दिखावे के बिना बहस के,अपना सबकुछ दांव पर लगाकर उस भरोसे को निभाते हैं.

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आज की मेडिकल दुनिया – Skill + Sacrifice + Stress

एक MBBS पास करने के लिए 5.5 साल चाहिए PG करने में और 3 साल Specialist बनने में 10 से 12 साल फिर तब जाकर एक डॉक्टर “Doctor” कहलाता है और फिर शुरू होती है असली जिंदगी –

  • 36 घंटे तक लगातार ड्यूटी
  • 100+ मरीजों की OPD
  • Zero holidays
  • Emergency calls at 3 am
  • और कई बार… मौत को भी हराने की कोशिश

वो दिखता नहीं, लेकिन टूटता है

कई बार ऐसा होता है कि मरीज नहीं बचता कभी-कभी ऑपरेशन फेल भी हो जाता है या फिर ICU में सब कोशिशें करने के बाद भी family रोते हुए बाहर जाती है ऐसे वक्त में डॉक्टर भी रोता है मगर अकेले में क्योंकि उसके आंसू देखकर मरीज की उम्मीद नहीं टूटनी चाहिए.

जनता की उम्मीद और सिस्टम की जद्दोजहद

आज भी गांवों में 1 डॉक्टर पर 5000 मरीज हैं PHC में संसाधन नहीं सरकारी अस्पतालों में भीड़ बहुत और दूसरी तरफ YouTube और WhatsApp से सीखे हुए झोलाछाप डॉक्टर भीड़ को भटका रहे हैं फिर भी एक MBBS डॉक्टर वही करता है जो एक-एक मरीज को संभालना, समझाना, और ठीक करने की कोशिश.

असली सलाम उन अनजाने नायकों को

Doctors Day पर सिर्फ बड़े अस्पतालों के नामी डॉक्टर नहीं उन छोटे कस्बों के उन डॉक्टरों को भी याद कीजिए जो मिट्टी, धूल, भीड़, सरकारी कागजों और शिकायतों के बीच भी इंसानियत का इलाज कर रहे हैं.

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