बांके बिहारी कॉरिडोर या विनाश बांके बिहारी कॉरिडोर पर कोर्ट की सख्ती

By Shiv

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वृंदावन | इलाहाबाद | 3 जून 2025
बांके बिहारी मंदिर के लिए प्रस्तावित हुए कॉरिडोर परियोजना में एक बार फिर विवादों में घिर गई है इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वृंदावन की पारंपरिक कुंज गलियों और आसपास के प्राचीन मंदिरों के ध्वस्तीकरण को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया गया है अदालत ने यह निर्देश जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया

बांके बिहारी कॉरिडोर

आखिर याचिका में क्या कहा गया

यह अर्ज यह याचिका मथुरा में रहने वाले पंकज सारस्वत द्वारा वर्ष 2023 में की गई थी कि अर्जी देने वाले का कहना है कि कॉरिडोर तैयारी के नाम पर वृंदावन के धार्मिक और सांस्कृतिक स्वरूप से छेड़छाड़ की जा रही है परंतु जो क्षेत्र की विरासत को नुकसान पहुंचा सकती है।

कोर्ट की बडी सख्त टिप्पणी

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और मदन पाल सिंह की खंडपीठ ने सरकार को ये साफ इशारे दिए हैं कि वह बताए कि क्या पारंपरिक गलियों और मंदिरों को तोड़ना आवश्यक है क्या अदालत ने पूछा कि क्या यह विकास धार्मिक विरासत के खिलाफ नहीं है?

कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब अगली सुनवाई 3 जुलाई को

कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को ये आदेश दिया है कि वह ध्वस्तीकरण योजना पर पूरी जानकारी के साथ अपना पक्ष प्रस्तुत करना होगा और इस जनहित याचिका पर अब अगली सुनवाई 3 जुलाई 2025 को होगी।

पहले हुआ था ये

कोर्ट ने नवंबर 2023 में बांके बिहारी कॉरिडोर को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी पर यू.पी. कोर्ट ने मंदिर के देवता के बैंक खाते से ₹262.50 करोड़ खर्च होने पर रोक भी लगा दी थी और यह सालों पुराना निर्णय मंदिर की धार्मिक संपत्ति की सुरक्षा के मद्देनजर किया गया था।

मुद्दा केवल विकास का नहीं बल्कि विरासत का भी है

कॉरिडोर योजना के तहत श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक बुनियादी ढांचा बनाया जा रहा है पर इसके कारण कई पुराने धार्मिक स्थल और गलियों को तोड़ा जा सकता है और यही मुद्दा अब धार्मिक और सांस्कृतिक सुरक्षा बनाम विकास की बहस में बदल गया है।


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