धुलियन हिंसा: क्या बंगाल में कानून-व्यवस्था चरमरा गई है?
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कोलकाता, 11 अप्रैल 2025 — पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले में वक्फ एक्ट को लेकर भड़की हिंसा के बाद राज्य की सियासत में उबाल आ गया है। भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने दावा किया है कि धुलियन इलाके से 400 से अधिक हिंदू परिवार भय के चलते अपना घर छोड़कर भागने को मजबूर हुए हैं। उन्होंने इस घटना के लिए तृणमूल कांग्रेस (TMC) की ‘तुष्टिकरण नीति’ को जिम्मेदार ठहराया है।
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सुवेंदु अधिकारी ने सोशल मीडिया पर वीडियो और तस्वीरें साझा कीं, जिनमें लोग पलायन की स्थिति में दिख रहे हैं। उन्होंने लिखा, “धुलियन, मुर्शिदाबाद से 400 से अधिक हिंदू परिवार कट्टरपंथियों के डर से पलायन कर पर लालपुर हाई स्कूल, मालदा के बैष्णबनगर क्षेत्र में शरण लेने को मजबूर हुए हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि पीड़ितों के घर जला दिए गए और पुलिस मूकदर्शक बनी रही। अधिकारी ने BSF, राज्य पुलिस और ज़िला प्रशासन से पीड़ितों की सुरक्षित वापसी की मांग की है।
हिंसा की शुरुआत और तात्कालिक हालात:
शुक्रवार की रात वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर शुरू हुई भीड़ की हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। हिंसा के दौरान कई वाहन जलाए गए और पूरे इलाके में तनाव फैल गया। हालांकि पुलिस ने अब स्थिति को नियंत्रण में बताया है।
BSF की पांच कंपनियों को मौके पर तैनात किया गया है जो राज्य पुलिस की सहायता कर रही हैं। BSF के IG कर्णी सिंह शेखावत ने बताया, “हम राज्य पुलिस के सहयोग के लिए यहां हैं, स्वतंत्र कार्रवाई नहीं करेंगे, राज्य पुलिस की जरूरतों के अनुसार काम करेंगे।”
राजनीतिक संग्राम और कोर्ट की दखल:
सुवेंदु अधिकारी ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “बंगाल जल रहा है। हिंदुओं पर जिहादी आतंक थोपने की कोशिश हो रही है। यह सब TMC की तुष्टिकरण नीति का नतीजा है।”
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने भी ममता सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि यह हिंसा ‘राज्य प्रायोजित और संरक्षित’ है। उन्होंने दावा किया कि मंदिरों को निशाना बनाया गया, मूर्तियां तोड़ी गईं और हिंदुओं को पलायन के लिए मजबूर किया गया।
उन्होंने कहा, “यह स्वामी विवेकानंद की भूमि है, और यहां हिंदू डर के साए में जी रहे हैं। ममता बनर्जी को इस शर्मनाक स्थिति की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।”
इस बीच, कोलकाता हाई कोर्ट ने मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार और केंद्र को रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 17 अप्रैल को तय की गई है।
अब पूरा देश यह देख रहा है कि क्या बंगाल में एक बार फिर धर्म आधारित राजनीति की चिंगारी कानून व्यवस्था को लील रही है, या फिर यह एक बड़ी राजनीतिक चाल का हिस्सा है। जवाब आने बाकी है।
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