टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने हाल ही में एच-1बी वीज़ा प्रणाली को “टूटी हुई” करार देते हुए इसमें बड़े सुधार की जरूरत पर जोर दिया है। यह बयान तब आया जब उन्होंने कुछ दिन पहले इस प्रणाली का बचाव करते हुए इसे विदेशी कुशल कामगारों के लिए महत्वपूर्ण बताया था।

मस्क का एच-1बी वीज़ा पर रुख
एलन मस्क, जो स्वयं दक्षिण अफ्रीका से एच-1बी वीज़ा पर अमेरिका आए थे, ने कहा कि अमेरिका को दुनिया की “सबसे प्रतिभाशाली” क्षमताओं का गढ़ बनना चाहिए, लेकिन वर्तमान वीज़ा प्रणाली इसे सही ढंग से लागू नहीं कर रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि वीज़ा के लिए न्यूनतम वेतन सीमा को काफी बढ़ाया जाना चाहिए और वीज़ा बनाए रखने की लागत को अधिक किया जाना चाहिए ताकि कंपनियों को विदेशी कामगारों की बजाय घरेलू कामगारों को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया जा सके।
उन्होंने एक पोस्ट का जवाब देते हुए कहा, “यह समस्या आसानी से सुलझ सकती है यदि वीज़ा के लिए न्यूनतम वेतन सीमा को बढ़ाया जाए और इसे बनाए रखने की वार्षिक लागत बढ़ाई जाए। मैंने हमेशा कहा है कि यह कार्यक्रम टूट चुका है और इसमें बड़े सुधार की आवश्यकता है।”
एच-1बी वीज़ा पर विवाद
यह बहस तब और गरमा गई जब दक्षिणपंथी प्रभावशाली व्यक्तित्वों ने भारतीय-अमेरिकी उद्यमी श्रीराम कृष्णन को डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में एआई नीति सलाहकार के रूप में चुने जाने पर आलोचना की।
कुछ आलोचकों ने इसे अमेरिकी कामगारों के खिलाफ कदम बताते हुए मस्क और भारतीय-अमेरिकी टेक उद्यमी विवेक रामास्वामी की भी आलोचना की। इन आलोचनाओं पर मस्क ने तीखा जवाब देते हुए इसे “मूर्खतापूर्ण” करार दिया और इस मुद्दे पर “युद्ध छेड़ने” तक की बात कही।
डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन
हालांकि, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीज़ा का समर्थन करते हुए इसे “महान कार्यक्रम” बताया। उन्होंने कहा, “मेरी संपत्तियों पर कई एच-1बी वीज़ा धारक काम कर रहे हैं। यह एक बेहतरीन कार्यक्रम है, और मैंने इसका कई बार उपयोग किया है।”
सुधार की जरूरत पर जोर
मस्क और रामास्वामी दोनों ने एच-1बी वीज़ा प्रणाली को अमेरिकी अर्थव्यवस्था और तकनीकी विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया है, लेकिन यह भी कहा है कि इसमें सुधार आवश्यक है। मस्क के मुताबिक, अमेरिका को विदेशी प्रतिभाओं को आकर्षित करना चाहिए, लेकिन मौजूदा प्रणाली से अमेरिकी कामगारों को नुकसान नहीं होना चाहिए।
निष्कर्ष
एच-1बी वीज़ा प्रणाली को लेकर उठे विवाद ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि अमेरिका को अपनी आव्रजन नीति को कैसे संतुलित करना चाहिए। मस्क का यह बयान इस बहस को और तेज कर सकता है, खासकर जब तकनीकी क्षेत्र में विदेशी कामगारों की भूमिका पर लगातार चर्चा हो रही है।

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